ऐतिहासिक शताब्दी महोत्सव का भव्य समापन : नानी बाई का मायरा और भक्तिरस से सराबोर हुआ पूरा नगर, लीला स्पिरिचुअल बैंड के भजनों पर जम कर झूमे भक्त, VIDEO
अंतिम दिन दीदी राधा किशोरीजी ने सुनाई भक्त नरसिंग एवं भगवान सांवरिया सेठ की सत्यकथा

(छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज) :– नवापारा नगर स्थित सौ वर्षीय श्री राधाकृष्ण मंदिर में आयोजित शताब्दी महोत्सव आयोजन का भव्य समापन नानी बाई का मायरा की कथा और भक्तिमय आयोजनों के साथ हुआ। इसके साथ ही काशी–बनारस और आस-पास से पधारे विद्वान ब्राह्मणों ने मंत्रोच्चारण की अद्भुत पवित्रता से पूरे वातावरण को दिव्यता से भर दिया।
नयन निधि अग्रवाल एवं प्रतीक पूजा अग्रवाल ने पूर्ण श्रद्धा के साथ शुद्ध घी की आहुतियाँ दीं। यज्ञ के धुएँ से फैली दिव्य सुगंध को लोग पूरे अंचल में सुख, समृद्धि और खुशहाली का द्योतक मान रहे हैं। 24 नवंबर से प्रारंभ हुआ महायज्ञ पूरे सात दिनों तक चला। इस विशाल विष्णु महायज्ञ में 180,000 जप, और शुद्ध घी की आहुतियाँ दी गई।
श्री राधाकृष्ण मंदिर का शताब्दी वर्ष के सभी न्यूज एक साथ पढ़ने इस लिंक पर क्लिक करें
एक माह का महाआयोजन बना आस्था का महाकुंभ

लगभग एक महीने तक चले इस विराट आयोजन ने न केवल नगर बल्कि पूरे अंचल में धर्म, भक्ति, प्रेम, सेवा और संस्कृति की गंगा प्रवाहित की। नगर के हर द्वार तक पहुँचाए गए विशेष आमंत्रण के माध्यम से आयोजित नगर भोज को लोग आने वाली कई पीढ़ियों तक याद करते रहेंगे।

अंतिम दिवस समापन अवसर पर नानी बाई रो मायरा की कथा में भक्त नरसिंग एवं भगवान सांवरिया सेठ की सत्य कथा पूज्य दीदी राधा किशोरीजी ने सुनाई। वृंदावन से पधारी पूज्य दीदी राधा किशोरीजी ने अपनी पूरी नृत्य मंडली के साथ पूरे वातावरण को भक्ति रस से सराबोर कर दिया। सबसे बड़ा संयोग यह रहा कि वर्ष 2015 में भी इसी राधाकृष्ण मंदिर प्रांगण में दीदी राधा किशोरीजी के श्रीमुख से नानी बाई का मायरा हुआ था, तब उनकी आयु मात्र 12 वर्ष थी। आज उसी स्थली पर उसी कथा का पुनः श्रवण भक्तों को भाव-विभोर कर गया।
मंदिर की आकर्षक सजावट

कलकत्ता के कलाकारों ने राधाकृष्ण मंदिर को फूल बंगले के रूप में इस तरह सजाया कि हर आगंतुक स्तब्ध रह गया। हर मूर्ति दिव्य तेज से दमक रही थी, मानो मुस्कुरा रही हों। विशेष रूप से सजे राधाकृष्ण भगवान के दर्शन इतने मनोहारी थे कि भक्तों की नजरें हटने का नाम नहीं ले रही थीं – लग रहा था अभी वे बोल पड़ेंगे।
लगा भव्य भोग
भक्तों ने हनुमानजी को 74 सवामणी अर्पित कीं, जबकि अनेक भक्तों द्वारा छप्पन भोग लगाए गए। पूरे परिसर में दिव्य प्रसादी और भक्ति की महक फैल गई।
इतिहास रचने वाली कलश यात्रा
नगर के इतिहास की सबसे विशाल कलश यात्रा ने सभी को अभिभूत कर दिया। यात्रा की लंबाई का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसका पहला छोर बस स्टैंड पर था, जबकि अंतिम छोर डॉक्टर बलजीत के क्लिनिक तक पहुँच चुका था।
पीली साड़ियों में सजी, सिर पर कलश धारण किए 5 से 6 हजार महिलाएँ मानो साक्षात माँ गंगा के रूप में नजर आ रही थीं। राधा किशोरीजी के रथ के आगे रंग-बिरंगे चुनड़ी प्रिंट में सजे कलश और सालासर हनुमान समिति की महिलाएँ आकर्षण का केंद्र रहीं। कलश यात्रा के लिए नगर के वार्ड मोहल्ले एवं आसपास के गांवों में बैठक लेकर इसे विशाल रूप लेने की जवाबदारी सालासर समिति ने ली थी।

शोभायात्रा में आगे चलते 7 सफेद घोड़े और 7 विशाल झंडे ऐसा दृश्य प्रस्तुत कर रहे थे कि मानो धर्म की विजय यात्रा प्रारंभ हो चुकी हो। यात्रा में राउत नाचा, शिव तांडव व अघोरी नृत्य, विशालकाय उड़ीसा ढोल-मंजीरा टोली, बस्तर का पारंपरिक मुरिया नृत्य, रंगोली कलाकार, गायत्री परिवार की भजन मंडली, रथ पर राधा किशोरी जी, राधाकृष्ण एवं शिव–पार्वती की झांकी ने संस्कृति एवं आस्था का ऐसा समागम प्रस्तुत किया कि पूरा नगर धर्ममय वातावरण में डूब गया।
सभी भक्तों को मिला आहुति का सौभाग्य
अंतिम दिन संकल्पित मंत्र पूर्ण होने के बाद सभी श्रद्धालुओं को यज्ञ में आहुति डालने का सौभाग्य मिला। साथ ही कामधेनु रूपी गोमाता का दर्शन और परिक्रमा ने भक्तों को भाव-विह्वल कर दिया। एक माह तक चले इस महाआयोजन के समापन पर जो भी भक्त निःस्वार्थ भाव से सेवा में लगे थे, उनकी आँखें नम हो उठीं। माता–बहनों सहित हजारों श्रद्धालु भावुक हो गए।नगर ही नहीं, देश के विभिन्न कोनों से आए भक्तों ने इस आयोजन को अविस्मरणीय बताया।
लीला स्पिरिचुअल बैंड की प्रस्तुति में जमकर झूमें भक्त

यज्ञ के बाद तीन दिनों तक नानी बाई रो मायरा, दूसरे दिन वृंदावन के हेमंत ब्रजवासी मंडल के भजनों की मंत्रमुग्ध कर देने वाली प्रस्तुति और अंतिम दिवस दिल्ली की लीला स्पिरिचुअल बैंड के सुमधुर भजनों ने सभी भक्तों को झूमने पर मजबूर कर दिया। सुबह से रात तक चलता कार्यक्रम पूरे नगर में भक्ति की अविरल धारा की तरह बहता रहा।
राधा कृष्ण मंदिर शताब्दी महोत्सव के समापन दिवस पर दिल्ली की प्रसिद्ध लीला स्पिरिचुअल बैंड ने अपनी सुमधुर प्रस्तुतियों से ऐसा भक्तिमय वातावरण रचा कि पूरा पंडाल झूम उठा। भजनों और कीर्तनों की श्रृंखला ने भक्तों को देर तक मंत्रमुग्ध कर दिया। राधाकृष्ण संग फूलों की होली खेल कर सभी भक्त झूम उठे।
कार्यक्रम में “ये चमक ये दमक सब कुछ सरकार तुम्हीं से है,” जैसे भावपूर्ण भजन ने उपस्थित जनों के हृदय में भक्ति की तरंगें दौड़ा दीं। इसके बाद एक से बढ़कर एक प्रस्तुति ने माहौल को और अधिक दिव्य बना दिया।

बैंड ने श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारे, साँसों की माला में सिमरूँ मैं, तू सिमरन कर राधे राधे, आज बिरज में होरी रे रसिया, होलिया में उड़े रे गुलाल, जैसे मधुर भजनों ने श्रोताओं को थिरकने पर मजबूर कर दिया। जहाँ कुछ भक्त तल्लीन होकर ध्यान में डूब गए, वहीं कई श्रद्धालु भक्ति नृत्य करते हुए झूमने लगे।
कार्यक्रम के दौरान वातावरण में भक्ति, संगीत और उमंग का ऐसा संगम दिखाई दिया कि हर कोई इस अद्भुत संगीतमय संध्या का हिस्सा बनने पर गौरवान्वित महसूस कर रहा था। शताब्दी महोत्सव का यह अंतिम दिन लीला स्पिरिचुअल बैंड की प्रस्तुति के कारण अविस्मरणीय बन गया।
VIDEO
छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज से जुड़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें
https://chat.whatsapp.com/Ihl8c6n3whwBoOjrVkYYRS











