गरियाबंद जिले में महिला एवं बाल विकास विभाग के दो कर्मचारियों को किया गया सेवामुक्त, ये कारण आए सामने

(छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज) : गरियाबंद जिले के महिला एवं बाल विकास विभाग में पदस्थ दो कर्मचारियों को सेवा मुक्त कर दिया गया है। कलेक्टर बीएस उइके ने यह कार्रवाई की है। दोनों कर्मचारी कई सालों से कार्यालय से अनुपस्थित थे। लंबे समय से अनुपस्थित रहने के कारण विभाग ने कर्मचारियों को नोटिस जारी किया था, लेकिन दोनों कोई प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं कर पाए। इसलिए उन्हें पद से हटा दिया गया है।

जारी आदेश के अनुसार पंजीकृत बाल विकास परियोजना फिंगेश्वर के अपचारी स्टाफ सहायक ग्रेड-03 जीनोम कुमार वैष्णव 27 अप्रैल 2018 से बिना पूर्व सूचना के अनाधिकृत रूप से 2154 दिन तक लगातार अनुपस्थित रहे। उनके लम्बे समय तक अनुपस्थित रहने के कारण विभाग द्वारा कई बार उन्हें सार्जेंट जारी कर उत्तर मांगा गया था, लेकिन उन्हें किसी भी प्रकार का उत्तर प्रस्तुत नहीं किया गया। उनके द्वारा स्वयं के मानसिक स्वास्थ्य खराब होने के कारण कर्तव्य पर उपस्थित न होना संबंधी लेख लिखा गया है।

परंतु उनके द्वारा जारी किए गए प्रमाण पत्र में कोई भी चिकित्सा प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं किया गया है। उत्पाद विभाग द्वारा 21 जून 2024 को पत्र के माध्यम से न्यायहित में अंतिम अवसर दिया गया। इस पर उनकी अनुपस्थिति के संबंध में समाधानकारक द्वारा कोई भी साक्ष्य पत्र प्रस्तुत नहीं किया गया।  इस कारण बताया गया है कि छत्तीसगढ़ सिविल सेवा द्वारा 1966 के तहत कर्मचारी पर प्लास्टर नियंत्रण और अपील नियम 1966 के तहत सचिवालय सेवा से पदच्युत किया गया था। 

दूसरे मामले में कॉन्स्टैंट इंजीनियर पदच्युत 

इसी तरह के पंजीकृत बाल विकास प्रोजेक्ट मैनपुर के अपचारी स्टाफ असिस्टेंट ग्रेड 03 विकास कुमार पोटाई 01 मार्च 2016 से बिना किसी सूचना के अनाधिकृत रूप से 2300 दिन तक कॉन्स्टैंट इंजीनियर रहे। उनके लम्बे समय तक अनुपस्थित रहने के कारण विभाग द्वारा कई बार उन्हें सार्जेंट जारी कर उत्तर मांगा गया था, लेकिन उन्हें किसी भी प्रकार का उत्तर प्रस्तुत नहीं किया गया।

श्री पोटाई ने अपने और अपने परिवार के लोगों का स्वास्थ्य खराब होने के कारण कर्तव्य परायणता नहीं होने के बारे में लिखा है। परंतु उनके द्वारा जारी किए गए प्रमाण पत्र में कोई भी चिकित्सा प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं किया गया है। इस पर उनकी अनुपस्थिति के संबंध में समाधानकारक द्वारा कोई भी साक्ष्य पत्र प्रस्तुत नहीं किया गया। इस कारण बताया गया है कि छत्तीसगढ़ सिविल सेवा द्वारा 1966 के तहत कर्मचारी पर प्लास्टर नियंत्रण और अपील नियम 1966 के तहत सचिवालय सेवा से पदच्युत किया गया था।

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