छत्तीसगढ़-उड़ीसा सीमा पर सुरंगपानी में जगन्नाथ रथ द्वितीया महोत्सव संपन्न, दोनों राज्यों के श्रद्धालुओं ने मिलकर खींचा रथ

दोनों राज्यों के श्रद्धालुओं ने मिलकर खींचा रथ, उमड़ा भक्तों का सैलाब

(छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज)  किशन सिन्हा :– छत्तीसगढ़ और उड़ीसा की सीमावर्ती संस्कृति की अनूठी मिसाल पेश करते हुए जिले के अंतिम गांव सुरंगपानी में परंपरागत जगन्नाथ रथ द्वितीया महोत्सव का भव्य आयोजन शुक्रवार को संपन्न हुआ। इस पर्व की विशेष बात यह रही कि इसमें दोनों राज्यों के हजारों श्रद्धालु उत्साहपूर्वक शामिल हुए। भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की रथ यात्रा के दौरान सीमा के दोनों ओर के भक्त एकजुट होकर रथ खींचते दिखे। गाजे-बाजे, लोकवाद्य, कीर्तन-मंडलियों और प्रसादी वितरण के बीच उत्सव ने धार्मिक ऊर्जा से गांव को आलोकित कर दिया।

सुबह से ही सुरंगपानी गांव में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने लगी थी। पारंपरिक रथ को गांव के मुख्य मार्ग से निकाला गया, जिसे श्रद्धालुओं ने भक्तिभाव से खींचते हुए मंदिर परिसर तक पहुंचाया। यह आयोजन धार्मिक समरसता का प्रतीक बन गया, जिसमें न केवल छत्तीसगढ़ के गरियाबंद और आसपास के गांवों से, बल्कि उड़ीसा की सीमा से सटे अंचलों से भी बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। इस अवसर पर जगह-जगह भक्तों के लिए भोग, फलाहार और प्रसाद की व्यवस्था की गई थी, जिसका सभी ने आनंद लिया।

वर्षों से चली आ रही परंपरा 

गांव के लोगों के अनुसार रथ यात्रा की यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है और हर वर्ष यहां रथ द्वितीया महोत्सव के रूप में इसे बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। विशेष बात यह रही कि छोटे से सुरंगपानी गांव में जनसैलाब उमड़ पड़ा, जिससे मानो एक पर्व नगर का दृश्य बन गया। भक्तों के जयघोष, “जय जगन्नाथ”, की गूंज से संपूर्ण क्षेत्र भक्तिमय हो गया। आयोजन के सफल संचालन में स्थानीय जनप्रतिनिधियों की भी विशेष भूमिका रही।

सांस्कृतिक एकता का प्रतीक

इस धार्मिक आयोजन में क्षेत्र के जनपद सदस्य सुखराम कोमर्रा, एवं सरपंच रावि मरकाम कवि मरकाम खेम सिंह, मदुम सिंह विराट, डिगेश्वर मन्नु राम मरकाम सहित ग्राम पटेल बैगा मुख्य रूप से उपस्थित रहे। उन्होंने ग्रामवासियों और आयोजन समिति को इस भव्य आयोजन के लिए बधाई दी और कहा कि यह पर्व केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि सीमावर्ती सांस्कृतिक एकता का प्रतीक है। प्रशासन की ओर से सुरक्षा, पेयजल व यातायात की व्यवस्था सुनिश्चित की गई थी। ग्रामीणों ने उम्मीद जताई कि आने वाले वर्षों में यह आयोजन और भी भव्य रूप में सामने आएगा।

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