बिजली बिल पर एक और झटका: हॉफ बिजली बिल योजना में 400 यूनिट की छूट हुई कम, लोगों ने कहा फ्री योजना का पैसा हमसे वसूल रही सरकार
15 लाख बीपीएल परिवारों को मिलती रहेगी मुफ्त बिजली की सुविधा

(छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज) :– छत्तीसगढ़ सरकार ने घरेलू उपभोक्ताओं को राहत देने वाली हॉफ बिजली बिल योजना के अंतर्गत दी जाने वाली 400 यूनिट की मासिक छूट की सीमा में युक्तियुक्त संशोधन करते हुए अब 100 यूनिट तक की मासिक खपत पर 50 प्रतिशत की रियायत देने का निर्णय लिया है।
सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार वर्तमान में राज्य में लगभग 45 लाख घरेलू उपभोक्ता परिवार हैं, जिनमें से 31 लाख परिवारों की मासिक खपत 100 यूनिट से कम है। यह लगभग 70 प्रतिशत उपभोक्ताओं का प्रतिनिधित्व करता है। वहीं 30 प्रतिशत उपभोक्ता 100 यूनिट से ऊपर की खपत करते है। इन्हे अब इस योजना का लाभ नहीं मिल पाएगा।
छत्तीसगढ़ में भूपेश सरकार के समय शुरू हुई हाफ बिजली बिल योजना में घरेलू उपभोक्ताओं को 400 यूनिट तक बिजली खपत पर आधा बिल चुकाना पड़ता था, लेकिन 1 अगस्त 2025 से यह सीमा घटाकर 100 यूनिट कर दी गई है। यानी अब केवल उन्हीं उपभोक्ताओं को हाफ बिजली बिल की छूट मिलेगी, जिनकी मासिक खपत 100 यूनिट या उससे कम है। बिजली विभाग ने इस संबंध में आदेश जारी कर सभी संबंधित एजेंसियों को पालन करने के निर्देश दिए हैं।
बिजली की कीमत में भी बढ़ोतरी
छत्तीसगढ़ में बिजली की कीमत में भी बढ़ोतरी की गई है। उपभोक्ताओं को अगस्त से बढ़ा हुआ बिल भी भरना पड़ेगा। बिजली नियामक आयोग ने जुलाई में नया टैरिफ जारी किया था। आयोग और बिजली कंपनी के अधिकारियों के अनुसार, घरेलू उपभोक्ताओं को प्रति यूनिट 20 पैसे ज्यादा देना होगा। इसी तरह कॉमर्शियल के लिए 25 पैसे प्रति यूनिट ज्यादा देना होगा। अधिकारियों के अनुसार नुकसान की भरपाई करने के लिए यह कदम उठाया गया है।
कांग्रेस ने साय सरकार के इस योजना को बदलने पर कहा कि ‘यह छत्तीसगढ़ की जनता के साथ अन्याय है। भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने बिजली की राहत छीन ली है। ये सिर्फ झटका नहीं, एक गहरा धोखा है।’ वहीं पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने इसे साय सरकार का तुगलकी फरमान बताया है।
लोग सोशल मीडिया पर ले रहे चुटकी
वहीं लोग सोशल मीडिया में सरकार पर चुटकी लेते हुए लिख रहे है कि फ्री योजना का पैसा सरकार हमसे वसूल करने की तैयारी कर रही है। देखा जाए तो ये 30 प्रतिशत जनता वही है जो सरकार को टेक्स तो देती है लेकिन योजना के नाम पर इन्हे कुछ नहीं मिलता। गरीबों के लिए सरकार इतनी योजनाएं चलाती है लेकिन मध्यम वर्गीय परिवार के लिए सरकार के पास कोई योजना ही नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने भी कुछ महीनों पहले चुनावों के दौरान मुफ्त की स्कीमों की घोषणा किए जाने के पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि मुफ़्त की योजनाओं के कारण लोग काम करने से बच रहे हैं और देश के विकास में हिस्सा नहीं ले रहे हैं। जस्टिस बीआर गवई ने कहा था कि, “दुर्भाग्य की बात है कि मुफ्त में मिलने वाली चीजों के कारण… लोग काम करने से बचने लगे है, उन्हें मुफ्त में राशन मिल रहा है। उन्हें बिना कुछ काम किए ही पैसे मिल रहे है।
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