काम में लापरवाही बरतने दो कर्मचारियों पर हुई कार्रवाई, वेतन वृद्धि रोकने कलेक्टर ने जारी किया आदेश
(छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज) :- गरियाबंद कलेक्टर दीपक अग्रवाल ने शासकीय दायित्वों का निष्ठापूर्वक निर्वहन नहीं करने वाले दो कर्मचारीयों पर कार्यवाही की है। देवभोग तहसील कार्यालय में सहायक ग्रेड-02 पद पर पदस्थ कर्मचारी विजय कश्यप का तीन वार्षिक वेतन वृद्धि संचयी प्रभाव से रोकने का आदेश जारी किया है। उक्त कर्मचारी के विरूद्ध विधानसभा निर्वाचन 2018 के दौरान उच्च अधिकारियों द्वारा दिये गये निर्देशों का पालन नहीं करने तथा शासकीय कार्यो में लापरवाही बरतने का आरोप अधिरोपित किया गया था।
उक्त आरोपों की जांच के लिए विभागीय जांच भी संस्थित की गई थी। विभागीय जांच में उच्च अधिकारियों के आदेशों की अवहेलना, पूर्व अनुमति के बार-बार अनुपस्थित रहना तथा पदीय दायित्वों को समय पर पूर्ण नहीं करने एवं अपने कर्तव्यों के प्रति लापरवाही बरतने का आरोप पूर्णतया सिद्ध होना पाया गया। आरोप सिद्ध होने पर कलेक्टर अग्रवाल ने अनुशासनिक कार्यवाही करते हुए अपचारी कर्मचारी विजय कश्यप को भविष्य में इसकी पुनरावृत्ति नहीं करने की अंतिम चेतावनी देते हुए तीन वार्षिक वेतन वृद्धि रोकने की कार्यवाही की है। उक्त कार्यवाही छत्तीसगढ़ सिविल सेवा वर्गीकरण नियंत्रण तथा अपील नियम 1966 के नियम 10-4 के तहत किया गया है।
अनुपस्थित कर्मचारी पर की कार्यवाही
इसी तरह कलेक्टर दीपक अग्रवाल ने लम्बे समय से अनाधिकृत रूप से अनुपस्थित कर्मचारी पर कड़ी कार्यवाही की है। सहायक ग्रेड-03 पद पर पदस्थ कर्मचारी गजेन्द्र ध्रुव को लंबे समय तक अनाधिकृत रूप से अनुपस्थित रहने पर तीन वार्षिक वेतन वृद्धि संचयी प्रभाव से रोकन का दण्ड दिया गया है। साथ ही अनाधिकृत अनुपस्थित अवधि को शासकीय सेवा में व्यवधान ब्रेक इन सर्विस मानते हुए उक्त अवधि को संबंधित कर्मचारी शासकीय सेवा में नहीं थे, माना गया है। यह कार्यवाही कर्मचारी गजेन्द्र ध्रुव के निलंबन पश्चात विभागीय जांच में अधिरोपित आरोप सत्य पाये जाने पर की गई है।
उल्लेखनीय है कि तहसील कार्यालय मैनपुर में पदस्थ सहायक ग्रेड-03 गजेन्द्र ध्रुव को लंबे समय से अनाधिकृत रूप से अनुपस्थित रहने के कारण 23 मई 2023 को निलंबित किया गया। निलंबन पश्चात उनके विरूद्ध विभागीय जांच संस्थित की गई। विभागीय जांच प्रकरण में अनाधिकृत रूप से अनुपस्थिति तथा स्पष्टीकरण पत्र का जवाब प्रस्तुत नहीं करने का आरोप अधिरोपित किया गया। जांच प्रकरण में दोनों अधिरोपित आरोप पूर्णतः सत्य सिद्ध पाया गया। आरोप सिद्ध होने पर उक्त कर्मचारी का तीन वार्षिक वेतन वृद्धि रोकने की कार्यवाही तथा उक्त अनुपस्थित अवधि को ब्रेक इन सर्विस माना गया है।
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