विराट संत समागम उद्घाटन : राजिम कुंभ संस्कृति का प्रमाण है – शंकराचार्य श्री सदानंद
(छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज) :- रविवार 3 मार्च को राजिम कुंभ कल्प मेला में आज विराट संत समागम का उद्घाटन किया गया। उद्घाटन समारोह में अनंत विभूषित ज्योतिष मठ द्वारका शारदा पीठाधीश्वर जगतगुरू शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती जी महाराज एवं अनंत विभूषित ज्योतिष मठ बद्रीनाथ पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज राजिम पहुंचे।
मुख्य मंच पर दोनों शंकराचार्यों का खाद्य एवं जिले के प्रभारी मंत्री दयाल दास बघेल और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल, राजिम विधायक रोहित साहू एवं अन्य जनप्रतिनिधियों ने विधि विधान से चरण वंदन किया। कार्यक्रम की शुरूआत में दोनों शंकराचार्य एवं अतिथियों ने भगवान राजीव लोचन के प्रतिमा पर पुष्प अर्पितकर एवं दीप प्रज्जवलित कर पूजा अर्चना किया।
राजिम कुंभ संस्कृति का प्रमाण है – सदानंद
द्वारका शारदा पीठाधीश्वर जगतगुरू शंकराचार्य स्वामी सदानंद महाराज ने आशीर्वचन देते हुए कहा कि परमात्मा के पद प्राणी को पवित्र करती है। मार्ग में जो प्राणों की रक्षा करें वो पार्थाय है। जो राम नाम का जाप करते हैं। उनके पार्थ राम है। प्राणी मात्र में एक विश्राम का नाम राम है। धर्म रूपी कल्पवृक्ष का बीज राम नाम है। राम ने मनुष्य बनकर वो दिखाया, जो मनुष्य को करना चाहिए। कैसे धर्म का पालन किया जाता है। हमारे वेदों का ज्ञान संतों से ही मिलता है।
उन्होंने कहा कि राजिम कुंभ संस्कृति का प्रमाण है। ऐसे आयोजनों से संस्कृति की रक्षा होती है। धर्म की रक्षा करनी है तो धर्म का पालन करें। धर्म की स्वयं रक्षा हो जाएगी। धर्म मार्ग पर चलने की शिक्षा हमें कुंभ से मिलती है। मनुष्य में असीतिम क्षमता है, उसे उसका भरपूर उपयोग करना चाहिए। सृष्टि का अपादान कारक क्या है इसे मनुष्य ही जान सकता है। धर्म की बुद्धि परमात्म ने मनुष्य को दी है। धर्म-अधर्म और विधर्म को समझें।
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