Guru Purnima 2023 : क्यों मनाते हैं गुरु पूर्णिमा क्या है इसका आध्यात्मिक महत्व
इसे व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है
(छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज ) :- कबीर दास जी ने कहा है कि जब तक गुरु की कृपा प्राप्त नहीं होती मनुष्य अज्ञान रूपी अंधकार में भटकता रहता है उसे मोक्ष की प्राप्ति नहीं हो पाती । भारत मे माता-पिता के बाद गुरुओं का स्थान सर्वोपरि है । भारतीय सनातन परंपरा में गुरु को भगवान के बराबर माना गया है । मान्यता के अनुसार इस दिन महर्षि वेदव्यास का भी जन्म हुआ था । इसलिए कई जगहों पर गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है।
कब मनाते है गुरु पूर्णिमा
गुरु पूर्णिमा भारतवर्ष में आषाढ़ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है । यह पर्व गुरु के सम्मान में उनके वंदन और उनके प्रति सम्मान प्रकट करता है। हिंदुओं में आदिकाल से गुरुकुल और गुरु शिष्य की परंपरा रही है।
महर्षि वेदव्यास ने महाकाव्य महाभारत ,श्रीमद्भगवद्गीता ,18 पुराण के साथ-साथ कई वेदों का भी संकलन किया था। मान्यताओं की माने तो इसी कारण उनका नाम वेदव्यास पड़ा था कहीं-कहीं पर यह भी जिक्र आता है कि महर्षि वेदव्यास भगवान विष्णु के अवतार थे।
कब है गुरुपूर्णिमा
इस वर्ष गुरु पूर्णिमा का त्योहार 3 जुलाई को मनाया जाएगा इस तिथि में कई शुभ योग भी बन रहे हैं । पूर्णिमा तिथि 2 जुलाई रविवार की शाम से शुरुआत हो रही है और यह 3 जुलाई कि रात समाप्त हो जाएगी । इसलिए उदया तिथि के अनुसार 3 जुलाई को गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाएगा। पौराणिक मान्यता अनुसार इस दिन श्रद्धा भाव से गुरु की पूजा अर्चना कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए। इसके साथ ही गुरु वेद व्यास ,शंकराचार्य आदि गुरुओं का भी आवाहन करना चाहिए।
सभी मनुष्य के जीवन निर्माण में गुरुओं का विशेष महत्व होता है जिन गुरुओ ने हमें जीवन गढ़ने का मार्ग दिखाया हो उनके प्रति हमें सम्मान का भाव बनाए रखना चाहिए।