फिंगेश्वर क्षेत्र में धड़ल्ले से अवैध खनिज खनन, रात के अंधेरे में हो रहा परिवहन, धान की फसल लगे खेत में दौड़ रही हाइवा

(छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज) :– जिले में अवैध खनन पर लगाम लगाने की बात सिर्फ कागजों तक सिमट कर रह गई है। फिंगेश्वर विकासखण्ड के कई गांवों में बीते कई दिनों से माफिया खुलेआम तालाब व खेतों से अवैध मुरम खनन कर रहे हैं। रात के अंधेरे में चेन माउंटेन और पोकलेन मशीनें लगाकर तालाब खोदी जा रही हैं। ग्रामीणों के विरोध और शिकायतों के बावजूद प्रशासन व खनिज विभाग चुप्पी साधे हुए हैं। यही चुप्पी माफियाओं के लिए हरी झंडी साबित हो रही है।
बताया जा रहा है कि जिले में अवैध रेत उत्खनन पर प्रशासन ने कुछ समय पहले रोक लगाई थी। इसी के बाद रेत माफियाअपना धंधा बदलकर अब तालाब और खेतों से मुरम निकालने में सक्रिय हो गए हैं। रेत की तरह मुरम की भी भारी मांग है, जिसका फायदा उठाकर भू-माफिया इस काले कारोबार में जुटे हुए हैं।
ग्रामीणों से छल, लाखों का गुपचुप सौदा
भेन्डरी-सरगोड़ के ग्रामीणों का आरोप है कि गांव के कुछ प्रभावशाली लोगों ने तालाब चौड़ीकरण के नाम पर लोगों को गुमराह किया। गांववालों को महज 20 हजार रुपये का सौदा बताया गया, जबकि पर्दे के पीछे लाखों का लेन-देन हुआ। जब ग्रामीण विरोध करने पहुंचे तो माफियाओं ने गुर्गे और लठैत खड़े कर दिए। अब हालात यह हैं कि रोजाना 50-60 हाईवा मुरम तालाब निकाल कर बाहर भेजे जा रहे हैं।
सूचना पर 5 अगस्त को खनिज विभाग की टीम मौके पर जरूर पहुंची थी, लेकिन कार्रवाई करने के बजाय बैरंग लौट गई। तब से आज तक न तो कोई जांच हुई और न ही किसी जिम्मेदार अधिकारी ने मौके पर झांकना जरूरी समझा। दूसरी ओर ग्राम चैतरा में अवैध मुरम खनन की शिकायत कई बार की गई लेकिन खनिज विभाग इसमें कार्यवाही करने से क्यों कतरा रहे है ये सोचने वाली बात है।
पंचायत से अनुमति नहीं
सरपंच चुम्मन लाल सिन्हा ने बताया कि पंचायत से किसी तरह की अनुमति नहीं ली गई है। तालाब गहरीकरण की जरूरत को आधार बनाकर कुछ ग्रामीणों की सहमति ली गई थी, लेकिन पंचायत की आधिकारिक सहमति के बिना तालाब की खुदाई अवैध है।
लाखों की रॉयल्टी चोरी, जिम्मेदार मौन
बताया जा रहा है कि राजिम-नयापारा इलाके में मुरम का एक हाईवा 10 से 15 हजार रुपये में बिक रहा है। रोजाना लाखों की रॉयल्टी और जीएसटी चोरी कर माफिया खुलेआम कारोबार कर रहे हैं। हाईवा गाड़ियां फिंगेश्वर थाना और तहसील के सामने से गुजरती हैं, लेकिन किसी की नजर इन गाड़ियों पर नहीं पड़ रही। कलेक्टर द्वारा बनाई गई स्पेशल टीम भी पूरी तरह निष्क्रिय साबित हो रही है।
गांव की सड़कें और खेत बर्बादी के कगार पर
इन अवैध कारोबारियों ने गांव की सड़कों और खेतों को भी तहस-नहस कर दिया है। जहां कभी डामर की सड़क थी, उन्हे गड्ढों में बदल दिया गया है जिससे वहाँ से गुजरना मुश्किल हो गया है। किसानों के खेतों के बीच से रास्ता बनाकर हाईवा निकाला जा रहा हैं। यहां तक कि जिन खेतों में धान की बोआई की गई है, उन्हें भी माफिया नहीं छोड़ रहे।
कार्रवाई की जाएगी
इस मामले में गरियाबंद कलेक्टर भगवान सिंह उइके ने कहा कि अवैध खनन की अभी तक कोई जानकारी या शिकायत नहीं आई है। टीम बनाई गई है, दिखवाते हैं, आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।
समाचार प्रकाशन के बाद खनिज विभाग फिर थोड़ी बहुत कार्रवाही कर अपना इति श्री कर लेगी लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब रोजाना 50-60 हाईवा मुरम तालाब और खेतों से निकल रहे हैं, तो क्या प्रशासन को इसकी भनक नहीं है? क्या खनिज विभाग की चुप्पी माफियाओं से मिलीभगत का साफ संकेत नहीं है ?
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