गणेश चतुर्थी 2025 मुहूर्त: मूर्तियों को अंतिम रूप देने में जुटे मूर्तिकार, घर घर विराजेंगे गणपती, इस शुभ मुहूर्त में करें स्थापना

छोटी मूर्तियों की डिमांड बहुत ज्यादा है, मूर्ति को आकार लेता देखना बच्चों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।

(छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज) :- साल भर से बच्चे और युवा जिस पर्व का इंतजार कर रहे थे उसके लिए बस कुछ ही घंटे शेष है। बच्चे और युवा गणेशोत्सव को लेकर जम कर तैयारी में जुटे हुए है। कल 27 अगस्त से 6 सितंबर तक गणेशोत्सव का पर्व धूमधाम से मनाया जाएगा। नवापारा सहित अंचल में गणेशोत्सव धूमधाम से मनाने के लिए भक्त तैयारियों में जुट गए हैं। मूर्तिकार प्रथम पूज्य गणेश जी की प्रतिमा को अंतिम रूप देने में लगे हुए हैं।

नवापारा नगर के गणेशोत्सव समिति की ओर से गली-मोहल्लों में 25 से अधिक जगहों पर सार्वजनिक रूप से गणेश जी की स्थापना की तैयारी चल रही है। बच्चे व विभिन्न समिति के सदस्य भगवान श्री गणेश के स्वागत की तैयारी में लगे हुए हैं। घरों में भी गणेश जी की स्थापना कर 10 दिनों तक भक्त पूजा-अर्चना करेंगे। गणेश जी की छोटी मूर्तियों की इस साल खासा डिमांड है। मूर्तिकारों के पास अग्रिम बुकिंग चल रही है।

बच्चों के लिए भी आकर्षण का केंद्र

नवागाँव के मूर्तिकार सलिक राम चक्रधारी ने बताया कि तीन महीने पहले से मिट्टी की गणेश प्रतिमाओं को आकार देने में जुटे हुए थे। पिछले 10 दिनों से लोग अपनी पसंद की मूर्ति की अग्रिम बुकिंग करा रहे है। उन्होंने बताया कि इस वर्ष उन्होंने लगभग 400 मूर्तियाँ बनाई थी जिसमें केवल 20-25 मूर्तियाँ की शेष है। छोटी मूर्तियों की डिमांड बहुत ज्यादा है। मूर्ति स्थापित करने बच्चे व समिति के सदस्य मूर्तिकारों के पास पहुंचकर अपने पसंद की प्रतिमाओं कि पहले से बुकिंग कर रहे हैं। मूर्ति को आकार लेता देखना बच्चों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बना हुआ है ।

वहीं नगर के सभी गणशोत्सव समिति के सभी सदस्य गणेशोत्सव धूमधाम से मनाने तैयारी में लगे हुए हैं। पंडाल निर्माण के लिए टेंट व लाइट, प्रसाद के लिए हलवाई आदि की व्यवस्था में उनकी बुकिंग करने के लिए जुटे हुए हैं। हर साल नवापारा नगर में गणेशोत्सव की धूम रहती है, जो आसपास के क्षेत्र में प्रसिद्ध है।

मध्याह्न काल में गणपति प्रतिष्ठा पूजा श्रेयस्कर

नगर के ज्योतिष भूषण पण्डित ब्रह्मदत्त शास्त्री ने बताया कि देवों में प्रथम पूज्य, विघ्नविनाशक, मंगलमूर्ति श्री गणेशजी का प्राकट्य भाद्रपद मास शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मध्याह्न काल में हुआ था, जो कि आज बुधवार को है, जो कि उनका ही वार है। शास्त्र कहते हैं कि देव कार्यों में किसी भी प्रकार के दोष विशेष रूप से भद्रा आदि का विचार नहीं करना चाहिए, उन्होंने स्पष्ट किया कि वैसे भी कन्या राशि की भद्रा है, शास्त्रों में मृत्युलोक की भद्रा को त्याज्य बताया गया है, इसलिए कोई संशय की बात नहीं है।

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि चतुर्थी की रात में चन्द्र दर्शन नहीं करना चाहिए, अन्यथा मिथ्या कलंक लगता है, यदि भूल से चांद देख भी लें तो भगवान श्री कृष्ण से जुड़े हुए श्यामंतक मणि से संबंधित आख्यान सुन लेना चाहिए, इससे दोष दूर हो जाता है।

अभिजीत मुहूर्त में करें स्थापना  

वैसे तो आज 26 अगस्त को दोपहर चतुर्थी तिथि की 1.53 बजे से शुरुआत हो चुकी है लेकिन उदया तिथि को देखते हुए गणेश चतुर्थी का त्योहार 27 अगस्त 2025 को मनाया जाएगा। इसी दिन गणपति की स्थापना की जाएगी। 27 अगस्त को चित्रा नक्षत्र, बुधवार और भाद्रपद महीने की चतुर्थी तिथि से शुभ संयोग बन रहा है।

गणेश पुराण में बताया गया है कि ऐसे ही संयोग में देवी पार्वती ने दोपहर के समय गणपति की मूर्ति बनाई थी। 27 अगस्त को सुबह 11.00 बजे से दोपहर 1.30 बजे तक गणेश जी की स्थापाना का अभिजीत मुहूर्त है। यह बिल्कुल शुभ और लाभदायक है। इसके बाद भी दिन भर गणेश जी की स्थापना की जा सकती है।

मिट्टी से ही बने गणेश जी की स्थापना करे

प्रयाग न्यूज की तरफ से एक अपील कि घरों मे मिट्टी से ही बने गणेश जी की स्थापना करे क्यों कि मिट्टी मे पंचतत्वों का समावेश होता है । मिट्टी के गणेश जी की पूजा से गणेश जी और माता लक्ष्मी प्रसन्न होती है और पूजा का उचित फल प्राप्त होता है । साथ ही पर्यावरण को भी किसी प्रकार की हानि नहीं होती ।

गणेश जी की स्थापना विधि और पूजन

गणेश चतुर्थी के दिन विधिपूर्वक गणपति की स्थापना करनी चाहिए। सर्वप्रथम एक चौकी पर पीले या लाल रंग का कपड़ा बिछाकर उस पर  गंगाजल से अभिषेक करें। थोड़े चावल की ढेरी बना कर उसके उपर गणेश की मूर्ति स्थापित करे। गणेश जी का आव्हान करे। फिर गंगाजल से पवित्र कर वस्त्र, फूल, माला, जनेऊ आदि से उनका शृंगार कर अक्षत्, हल्दी, पान का पत्ता, सुपारी, चंदन, धूप, दीप, नारियल आदि से पूजन करे। गणपती को दूर्वा अर्पित कर मोदक या लड्डू का भोग लगाएं। पूजन के दौरान ॐ गं गणपतये नम: मंत्र का उच्चारण करना चाहिए। इस मंत्र का जाप करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। फिर गणेश जी की आरती करें ।

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