जन्माष्टमी : 6 और 7 सितंबर को मनाया जाएगा श्री कृष्ण जन्मोत्सव , ऐसे करें पूजन, श्री कृष्ण करेंगे हर इच्छा पूरी

सर्वार्थ सिद्धि योग , रवि योग और बुध आदित्य योग जैसे शुभ योग में पूजा करने से पुण्य का फल और बढ़ जाएगा

(छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज) :- भगवान विष्णु ने द्वापर युग में श्री कृष्ण का अवतार लिया । द्वापर युग में श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्ण अष्टमी रोहिणी नक्षत्र मे मध्य रात्रि मे हुआ था। इस वर्ष अष्टमी तिथि 2 दिन रहेगी इसलिए जन्माष्टमी को लेकर लोगों में असमंजस है ।ऐसे तो श्री कृष्ण का हम कौन सा जन्मोत्सव मनाएंगे ये कोई नहीं बता सकता लेकिन द्वापर युग और विक्रम संवत के वर्ष मिलाकर एक गणना के अनुसार इस वर्ष श्री कृष्ण जी का 5249 वां जन्मोत्सव मनाया जाएगा।

इस वर्ष रोहिणी नक्षत्र 6 सितंबर के दोपहर 2:28 से प्रारंभ होकर 7 सितंबर के दोपहर 2:55 तक रहेगा । साथ ही अष्टमी तिथि 6 सितंबर की दोपहर 3:55 से शुरू होकर 7 सितंबर की दोपहर 4:16 तक रहेगी । 6 सितंबर को सर्वार्थ सिद्धि योग , रवि योग और बुध आदित्य योग जैसे शुभ योग में पूजा करने से पुण्य का फल और बढ़ जाएगा ।उदया तिथि मे 7 सितंबर को भी जन्माष्टमी का उत्सव मनाया जाएगा ।

सरल विधि से ऐसे कर सकते हैं कृष्ण पूजन

श्री कृष्ण जन्मोत्सव पर बाल गोपाल जी का अभिषेक करना चाहिए । इसके लिए बाल गोपाल की प्रतिमा को (अगर उपलब्ध हो ) दक्षिणावर्ती शंख से स्नान कर कर पीले वस्त्र अर्पित करने चाहिए । स्नान के लिए केसर मिश्रित दूध का उपयोग करें तो बेहतर रहेगा।  तिलक चंदन लगाकर हार फूल और आभूषण से सुंदर श्रृंगार करें । झूले मे विराजित कर माखन मिश्री का भोग लगाए । धूप दीप जलाकर आरती पूजन करें ।

अगर मंत्र जाप करना संभव हो तो भगवान श्री कृष्ण के सरल मंत्र ॐ कृं कृष्णाय नमः या ऊँ नमः भगवते श्रीगोविन्दाय: का जाप करें ।

पूजन में रखें इन बातों का ध्यान

भगवान के अभिषेक के लिए गाय के कच्चे दूध में केसर डालकर भगवान का अभिषेक करें।
भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा में दक्षिणावर्ती शंख का उपयोग किया जाता है।शंख में दूध भर कर भगवान का अभिषेक करें । ( अगर उपलब्ध हो )
आप चाहे तो पंचामृत से भी स्नान करा सकते हैं । पंचामृत दूध दही घी शक्कर और शहद मिलाकर बनाया जा सकता है । उसके बाद स्वच्छ जल से स्नान कराना चाहिए।
सुंदर पीले वस्त्र पहनाकर हार फूल से शृंगार करें।चंदन से तिलक कर मस्तक पर मुकुट लगाए। पूजन में मोर पंख का उपयोग करें।
जन्माष्टमी पर श्रीमद् भगवत गीता के अध्यायों का या गीता सार का पाठ भी कर सकते हैं।
कृष्ण मंत्र जपने के लिए तुलसी की माला का उपयोग करें।
जरूर मंद लोगों को धन अनाज का दान करें साथ ही हो सके तो किसी गौशाला में धन अनाज का दान भी जरूर करेंइससे श्री कृष्ण जी जल्द प्रसन्न होते है और भक्त की हर इच्छा पूरी करते है ।

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