Makar Sankranti 2024: कल मनाई जाएगी मकर संक्रांति, जानें किस राशि पर कैसा पड़ेगा प्रभाव, जरूर करे ये काम

(छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज) :- आज 14 जनवरी की अर्धरात्रि पश्चात 2 बजकर 44 मिनट पर सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करेगा जिसके बाद सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण हो जाएंगे और इसी के साथ ही विभिन्न मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाएगी। 15 जनवरी 2024 सोमवार को मकर संक्रांति का पर्व धूमधाम से मनाया जाएगा । ये सूर्य पूजा का महापर्व है।

क्यों 15 जनवरी को मनाया जा रहा संक्रांति का पर्व

ज्योतिष भूषण पण्डित ब्रह्मदत्त शास्त्री ने बताया कि यह एक ऐसी खगोलीय गणना है जिसका ज्योतिष शास्त्रीय विवेचन है । सूर्य एक राशि में एक महीने तक रहते हैं। इस मान से 12 राशियों के 12 सूर्य हुए । गणना के अनुसार सूर्य के धनु से मकर राशि में आने का समय हर साल करीब 20 मिनट बढ़ जाता है। इसलिए करीब 72 साल के बाद एक दिन के अंतर से सूर्य मकर राशि में आता है । अब सूर्य के मकर राशि में प्रवेश का समय 14 और 15 जनवरी के बीच में होने लगा है। 

दान, पूजा पाठ का विशेष महत्व

यह संक्रमण काल है। इस बार सूर्य ने मकर राशि में प्रवेश किया है इस पुण्य काल में स्नान, दान, पूजा पाठ का विशेष महत्व है । तिल, गुड़, खिचड़ी, घी, हल्दी, मूंग की दाल आदि द्रव्यों का दान करना चाहिए । पंडितों के मुख से संक्रान्ति का फल सुनना चाहिए और उन्हें पूजा करके नए संवत का पंचांग भेंट करना चाहिए । शास्त्री जी ने कहा कि संक्रांति जिन वस्तुओं को धारण करती है, उनकी हानि, व्यापारियों को पीड़ा , जहां से आती है वहां सुख और जहां जाती है और देखती है वहां कष्ट होता है । 

राशि अनुसार शुभ अशुभ

इस बार संक्रांति दक्षिण दिशा में नैरित्य की ओर घोड़े पर सवार होकर, हल्दी का लेपन करते हुए गई है, उसने काले वस्त्र पहने हैं। वृद्धा अवस्था में बैठी हुई है, मेष, वृष, मिथुन, कन्या व धनु राशि वालों को शुभ एवं कर्क, सिंह, तुला, वृश्चिक, मकर, कुम्भ व मीन राशि वालों के लिए अशुभ है।

करे ये काम होगी अक्षय पुण्य की प्राप्ति

मकर संक्रांति पर सुबह जल्दी उठें। पानी में थोड़ा सा गंगाजल मिलाकर स्नान करें। स्नान करते समय सभी पवित्र तीर्थों और नदियों के नामों का ध्यान करें करें। ऐसा करने से घर पर तीर्थ स्नान का पुण्य मिलता है।

सूर्य देव की विशेष पूजा करें। अगर विशेष पूजा नहीं कर पा रहे हैं तो सूर्य को अर्घ्य जरूर अर्पित करें। इसके लिए तांबे के लोटे में पानी भरें, लाल फूल, चावल डालें और फिर सूर्य को जल चढ़ाएं। सूर्य मंत्र ऊँ सूर्याय नम: का जप करें।

संक्रांति सुबह तुलसी को जल चढ़ाएं और परिक्रमा करें। सूर्यास्त के बाद तुलसी के पास दीपक जलाएं और परिक्रमा करें। ध्यान रखें शाम को तुलसी को स्पर्श नहीं करना चाहिए।

किसी भी मंदिर में गुड़ और काले तिल का दान करें। भगवान को गुड़-तिल के लड्डू का भोग लगाएं और भक्तों में  प्रसाद वितरित करें।

संक्रांति पर अपने इष्टदेव की विशेष पूजा जरूर करें। किसी शिव मंदिर जाएं और शिवलिंग पर काले तिल चढ़ाकर जल अर्पित करें। बिल्व पत्र से श्रृंगार करें। शिवलिंग पर चंदन का लेप करें। धूप-दीप जलाकर आरती करें।

सूर्य शनि की मकर राशि में प्रवेश करेगा। इसलिए संक्रांति पर शनि देव की भी विशेष पूजा की जाती है। शनि देव को तेल चढ़ाएं। नीले और काले तिल अर्पित करें। शनि देव के सामने दीपक जलाकर ऊँ शं शनैश्चराय नम: मंत्र का जप करें।

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