अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही ने ली दो जाने : अलग-अलग मामले में जच्चा और बच्चा की मौत, SDM ने दिए जांच में निर्देश

(छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज) :- गरियाबंद जिले में अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही सामने आई है। इस लापरवाही के चलते दो अलग-अलग मामलों में जच्चा और बच्चा की मौत हो गई है। दोनों मामलों की शिकायत मिलने के बाद एसडीएम ने तहसीलदार को जांच के निर्देश दिए हैं।
डॉक्टर की लापरवाही आई सामने
पूरा मामला देवभोग क्षेत्र का है। दोनों ही मामले एक ही गांव से जुड़ा हुआ है। जानकारी के अनुसार 19 मई को झाखरपारा गांव की रहने वाली भाग्यवती यादव को प्रवास पीड़ा हुआ। इसके बाद उसके पति राजेश यादव ने सुबह 6 बजे देवभोग अस्पाल में भर्ती कराया गया। भर्ती के कुछ घंटे बाद भाग्यवती बेटे को जन्म दिया, लेकिन रात 10 बजे के बाद शिशु को बुखार आया, उसका शरीर तपने लगा।
बच्चे के पिता राजेश ने ड्यूटी पर तैनात नर्स को बुलाने गया, पर भी वो नहीं आई। तड़के सुबह जब डॉक्टर को उठाया, तो डॉक्टर जांच करने की बजाय उल्टा राजेश को फटकार लगा दी। जैसे-तैसे डॉक्टर सुबह 5 बजे आने को राजी हुआ, लेकिन तब तक बच्चे की मौत हो गई थी। बताया गया कि भाग्यवती पांच साल बाद गर्भवती हुई थी। इधर डॉक्टर रेफर का बहाना बनाता रहा। फिर 20 मई की सुबह 6 बजे नवजात बच्चे को मृत घोषित कर दिया गया।
डिस्चार्ज पेपर पर मृत बच्चा पैदा होना बताया
इधर डॉक्टर द्वारा जब डिस्चार्ज पेपर बनाया गया, तो उस पर मरे हुए बच्चे का जन्म यानि स्टिल बर्थ लिखा, जबकि प्रसव के बाद वजन 2 किलो होना बताकर शिशु देखभाल केंद्र में भर्ती के पंजीयन में उसकी निगरानी करना दिखाया गया है। इतना ही भी भर्ती तत्काल बाद 19 मई को ही अस्पताल प्रबंधन ने आयुष्मान कार्ड के माध्यम से लाभार्थि के खाते से प्रसव के लिए निर्धारित 3500 रुपए सरकारी खजाने में स्थानांतरित भी कर दिए।
दूसरे मामले में मां की मौत
झखरपारा गांव के वार्ड 27 में रहने वाले मजदूर दिनेश विश्वकर्मा की पत्नी भुवेंद्री को 21 मई की रात 10 बजे प्रसव पीड़ा शुरू हुई। परिजनों ने डायल 102 को फोन किया, लेकिन जवाब मिला कि सेवा उपलब्ध नहीं है। एंबुलेंस के प्रयास के बीच रात करीब दो बजे झखरपारा पीएससी की एंबुलेंस पहुंची, तब भुवेंद्री ने बेटे को जन्म दे चुकी थी।घर की महिलाएं साथ में मौजूद थीं। एंबुलेंस के पहुंचते ही मां और बच्चे की गर्भनाल समेत उसे 3 बजे देवभोग अस्पताल में भर्ती कराया गया।
पति दिनेश ने बताया कि अस्पताल में नर्स ने गर्भनाल काट दी, जिसके बाद खून बहता रहा। जब खून बहना बंद नहीं हुआ तो अस्पताल ने उसे रेफर लेटर थमा दिया। बेबस पति शाम 5 बजे ओडिशा के धरमगढ़ के सरकारी अस्पताल पहुंचा, जहां प्रबंधन ने हाथ खड़े कर दिए. कुछ देर बाद 22 जून की सुबह गर्भवती महिला की मौत हो गई। लापरवाही के चलते मासूम के सिर से मां का साया उठ गया। अब दादी उसे डिब्बे के दूध के सहारे पिलाने की कोशिश कर रही हैं। दिनेश की शादी को एक साल ही हुआ था। यह उनका पहला बच्चा है।
SDM ने दिए जांच के निर्देश
बता दें कि 7 जून को जिला स्तरीय जन समस्या निवारण शिविर का आयोजन था। जिसमें अपर कलेक्टर अविनाश भोई व अनुविभागीय अधिकारी अर्पिता पाठक पहुंचे थे। शिविर में दोनों पीड़ित परिवारों ने देवभोग अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ शिकायत की है। इस पर एसडीएम ने तहसीलदार जयंत पटले को जांच के आदेश जारी कर दिए हैं।

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