साय कैबिनेट में राजिम कुंभ पर लगी मुहर, संशोधन विधेयक पास, देशभर के साधु-संतों का होगा समागम
(छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज):- राजिम कुंभ कल्प मेला को लेकर मंत्रिपरिषद की बैठक में संशोधन विधेयक प्रस्ताव पास हो गया है। राजिम माघी पुन्नी मेला अब फिर से राजिम कुंभ कल्प (Rajim Kumbh Kalp) के नाम से आयोजित किया जाएगा। 24 फरवरी से प्रारंभ होने वाले राजिम कुंभ की तैयारियां युद्ध स्तर पर प्रारंभ हो गई। प्रदेश में पूर्ववर्ती बघेल सरकार ने राजिम कुंभ मेले का नाम बदलकर राजिम पुन्नी मेला कर दिया था।
9 फरवरी को विधानसभा में मंत्रिपरिषद की बैठक में राजिम माघी पुन्नी मेला के स्थान पर राजिम कुंभ (कल्प) मेला आयोजित करने का फैसला लिया गया है। इसके लिए छत्तीसगढ़ राजिम माघी पुन्नी मेला अधिनियम 2006 को संशोधित करने हेतु ‘‘छत्तीसगढ़ राजिम माघी पुन्नी मेला‘‘ (संशोधन विधेयक 2024) के प्रारूप का अनुमोदन किया गया। राजिम कुंभ (कल्प) की फिर से शुरूआत होने से राजिम मेले की राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बढ़ेगी। साथ ही छत्तीसगढ़ में सांस्कृतिक एवं धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
बता दें कि छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार के रहते राजिम कुंभ ने देशभर में अपनी अलग पहचान बनाई। शाही स्नान से लेकर धार्मिक आयोजनों में सरकार ने करोड़ों रुपये खर्च किए, साधु-संत भी पहुंचे, लेकिन कांग्रेस सरकार के आते ही शाही स्नान और साधु-संतों के आगमन की रफ्तार धीमी पड़ गई। यहां साधु-संतों का जमावड़ा भी कम हो गया। देश के प्रसिद्ध मठ-मंदिरों तक आमंत्रण ही नहीं पहुंचा। प्रदेश में भाजपा सरकार के बाद राजिम कुंभ कल्प की रौनक एक बार फिर लौटाने की तैयारियां शुरू कर दी गई हैं।
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24 फरवरी से 8 मार्च तक चलेगा आयोजन
राजिम कुंभ कल्प मेला का आयोजन माघ पूर्णिमा से महाशिवरात्रि तक किया जाता है। इस बार 24 फरवरी से राजिम कुंभ मेले की शुरूआत होगी। महाशिवरात्रि 8 मार्च को शाही स्नान के साथ समापन होगा।
साधु-संतों का होगा जमावड़ा
राजिम कुंभ कल्प मेला में हरिद्वार, अयोध्या, बनारस, काशी, मथुरा, चित्रकुट सहित देश के विभिन्न स्थानों के साधु-संतों का जमावड़ा देखने को मिलेगा। यहां चारों मठों के शंकराचार्य के अलावा महामंडलेश्वर विशोकानंद महाराज, महामंडेलश्वर शिवस्वरूपानंद महाराज, महंत ज्ञान स्वरूपानंद महाराज, सतपाल महाराज, हरिद्वार के गायत्री प्रमुख डा चिन्मयानंद महाराज, बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र शास्त्री, सिहोर के पंडित प्रदीप मिश्रा आदि साधु-संतों से संपर्क किया गया है। वहीं कई महंतों द्वारा राजिम कुंभ में आने की सहमति भी दे दी है।
राजिम के बारे में
महानदी, पैरी और सोंढूर नदियों के पवित्र संगम के बीच राजिम कुंभ कल्प आयोजित होता है। यहां कुलेश्वर महादेव के नाम पर पौराणिक शिवमंदिर स्थापित हैं। कहा जाता है कि वनवास काल में श्रीराम, माता सीता, लक्ष्मण सहित यहां आए थे। कुलेश्वर महादेव की स्थापना श्रीराम चंद्र जी ने की थी। राजिम में प्राचीन राजीवलोचन मंदिर को देखने दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं।
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2006 से राजिम कुंभ 2019 में पुन्नी मेला
प्राचीन काल से चली आ रही राजिम मेला को छत्तीसगढ़ बनने के बाद तत्कालीन धर्मस्व मंत्री धनेन्द्र साहू ने इसे राजिम महोत्सव का नाम देकर प्रारंभ किया है। इसके बाद भाजपा सरकार के सत्ता में आने के बाद वर्ष 2006 में विधानसभा में राजिम कुंभ मेला अधिनियम 2006 पारित किया गया, जिसके तहत ‘‘राजिम कुंभ’’ के नाम से आयोजित किया जाता था। इसके बाद कुछेक महात्माओं द्वारा कुंभ पर आपत्ति किया गया। तब वर्ष 2017 में इसका नाम बदलकर ‘‘राजिम कुंभ कल्प मेला’’ कर दिया गया। 2018 में कांग्रेस सरकार बनने के बाद राजिम मेले का प्राचीन नाम राजिम माघी पुन्नी मेला होने का तर्क देकर आयोजन का नाम बदल दिया गया।
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संस्कृति एवं पर्यटन के अधिकारी को मिलेगी जिम्मेदारी
राजिम मेला छत्तीसगढ़ का प्रसिद्ध मेला है। मेला के सफलता पूर्वक आयोजन में सबसे बड़ी भूमिका अधिकारियों की रहती है। अधिकारियों के कार्यों के कारण ही मेला की भव्यता दिखाई देते है। जानकारी के अनुसार राजिम कुंभ के सफलता पूर्वक आयोजन के लिए मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने इसकी जिम्मेदारी तत्कालीन ओएसडी गिरीश बिस्सा को दी थी।
श्री बिस्सा 2006 से 2022 तक अपने दायित्व पूरी ईमानदारी के साथ निभाई। श्री बिस्सा ने अपने कार्य कुशलता के चलते राजिम कुंभ और राजिम शहर की पहचान देश दुनिया में पहुंचाई है। बिस्सा समस्याओं को निपटाने, विवाद सुलझाने और टाइम पर काम पूरा करने के लिए उन्हें जाना जाता है।
खास बात ये कि बिस्सा का जनसंपर्क कमाल का रहा है। इसके साथ ही संस्कृति एवं पर्यटन विभाग अधिकारी कर्मचारी भी सराहनीय भूमिका निभाते है। सुत्रों के अनुसार इस वर्ष राजिम कुंभ कल्प का आयोजन जिला प्रशासन से हटाकर संस्कृति और पर्यटन विभाग के अधिकारियों को दायित्व दिया गया है।
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