Sawan Special : भोलेनाथ की पूजा में बेलपत्र अर्पित करने न करें ये गलती, जानिए इसके नियम
(छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज ) :- सावन मास में भगवान शिव की उपासना का विशेष महत्व होता है। सावन के महीने में भगवान शंकर की विधि विधान से पूजा उपासना करने से जीवन में सुख शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है । सावन माह में जलाभिषेक के बाद भगवान शंकर को बेलपत्र ,धतूरा ,कनेर के फूल अर्पित करने से भगवान शिव अत्यधिक प्रसन्न हो जाते हैं।
सावन का पवित्र महीना प्रारंभ हो चुका है। भगवान शंकर की पूजा में बेलपत्र का काफी महत्व है। बेलपत्र भगवान शिव को बहुत ही प्रिय है।बेलपत्र के बिना भगवान भोलेनाथ की पूजा अधूरी मानी जाती है इसलिए पूजा के दौरान बेलपत्र जरूर चढ़ाना चाहिए । वैसे तो भगवान भोलेनाथ काफी दयालु है मन और कर्म से की गई पूजा से ही मनवांछित फल दे देते हैं लेकिन शास्त्रों में बेलपत्र संबंधित कुछ नियम भी बताए गए हैं।नियम के विपरीत पूजन से पूजन का पूरा फल नहीं मिल पाता इसलिए सावन के प्रथम सोमवार अगर आप शिवजी की पूजा में बेलपत्र शामिल कर रहे हैं तो इन बातों का विशेष ध्यान रखे –
बेलपत्र के इन नियमों का करें पालन
भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाने से पहले यह जरूर देखे की बेलपत्र कहीं से कटा फटा हुआ ना हो । ऐसे बेलपत्र को चढ़ाने से पूजा का फल प्राप्त नहीं होता।
सोमवार के दिन बेलपत्र तोड़कर नहीं चढ़ाना चाहिए।
बेलपत्र अर्पित करते समय यह ध्यान रखें कि बेलपत्र में कम से कम तीन पत्तियां हो। तीन पत्तों वाला बेलपत्र शुभ माना जाता है पांच पत्ती वाला बेलपत्र मिलना बहुत ही दुर्लभ होता है।
बेलपत्र चढ़ाते समय ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप निरंतर करते रहें।
इन तिथियों पर बेलपत्र नहीं तोड़ना चाहिए यह तिथि है -चतुर्थी अष्टमी नवमी चतुर्दशी अमावस्या और संक्रांति।
किसी कारण से बेलपत्र ना हो तो शिवलिंग पर चढ़ाए गए बेलपत्र को स्वच्छ जल से धोकर पुनः उपयोग में लाया जा सकता है । इन्हें कभी भी अशुद्ध नहीं माना जाता।
बेलपत्र के पीछे भाग को बज्र कहा जाता है चढ़ाते समय इस बात का ध्यान रखें कि बज्र के साथ बेलपत्र ना हो।
नोट :- दी गई जानकारी मान्यताओं एवं धर्म ग्रंथों से संग्रहित की गई है यह आपके जानकारी के लिए आप तक पहुंचाई जा रही है हमारा उद्देश्य केवल आप तक जानकारी पहुंचाना है।
Belpatra Khane Ke Fayde : सेहत के लिए है भगवान शिव का वरदान,अनगिनत गुणों का खजाना