राजिम के केकती तालाब में हो रहे अतिक्रमण को तत्काल रोकने की मांग, अस्तित्व खोते जा रहे तालाब

(छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज) : राजिम क्षेत्र में स्थित तालाबों की दयनीय स्थिति है। कहीं तालाब जलकुंभी से अटे पड़े है तो कहीं अतिक्रमण की भेंट चड़ रहे है जिससे तालाब का क्षेत्रफल दिनों दिन कम होता जा रहा है। अतिक्रमण से तालाबों का आकार छोटा होता जा रहा है जिससे जल संसाधनों पर भी काफी बुरा प्रभाव पड़ता है। जो तालाब भूजल संग्रहण का एक बड़ा माध्यम है उस पर किसी का ध्यान नहीं है।

ऐसा ही एक तालाब राजिम के चौबेबांधा रोड में नया मेला मैदान के पास नगर का पुराना तालाब जिसे केकती तालाब के नाम से जाना जाता है जिसका प.ह.न. 25 खसरा नंबर 584 रकबा 0.5750 (भूजल) गाँव के मवेशीयों को नहाने धुलाने व पानी पिलाने के लिए आरक्षित रखा गया है। इस तालाब को तीव्र गति से पाटने का कार्य दिन रात किया रहा है जिस पर तत्काल रोक लगाने की मांग आरटीआई कार्यकर्ता बलवंतराव शिंदे ने राजिम तहसीलदार और एसडीएम को संपूर्ण दस्तावेज सौंप कर किया है।

उन्होंने मांग की है कि इस अवैध अतिक्रमण पर तत्काल रोक लगाई जावे अन्यथा जल्द ही यह तालाब अतिक्रमणकारियों के कब्जे में चल जाएगा। जिससे मवेशियों के निस्तारी एवं पीने के पानी का संकट खड़ा हो जाएगा। उक्त अतिक्रमण को हटाकर विलुप्त होते जलस्त्रोतों को बचाने की मांग भी की गई है।

जलस्रोतों की स्थिति दयनीय

एक ओर धर्म नगरी राजिम के त्रिवेणी संगम की दयनीय स्थिति किसी से छुपी नहीं है। लगातार रेत का अवैध तरीके से दोहन वहीं दूसरी ओर गंदगी, सिल्ट और जंगली पौधों से अटा पड़ा है। जिसके कारण प्राणदायिनी महानदी सूखते जा रही है और भविष्य में अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही है। वहीं दूसरी ओर जलस्रोतों के रूप में नगर के तालाब भी देखरेख के अभाव में अपना अस्तित्व खोते जा रहे है। प्रशासनिक उदासीनता, गंदगी से पटे होने और अतिक्रमण के फलस्वरूप अपना मूल स्वरूप खोते जा रहे हैं। अगर ऐसा रहा तो भविष्य में सिर्फ कागजों में ही तालाब दिखेंगे। आने वाली पीढ़ी को तालाब कैसा होता है ये सिर्फ सुनने ही मिलेगा।

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