गणतंत्र दिवस पर नई दिल्ली मे दिखेगी बस्तर की झांकी, 28 राज्यों के बीच कड़ी प्रतियोगिता के बाद हुआ चयन, टीम रवाना
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने शुभकामनाएं देकर किया विदा, प्रदेश के लिए बताया बड़ा अवसर
(छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज):- गणतंत्र दिवस के अवसर पर नई दिल्ली के कार्यव्यपथ पर छत्तीसगढ़ की झांकी, “बस्तर की आदिम जनसंसद : मुरिया दरबार” को प्रदर्शित करने नई दिल्ली रवाना हो रही बालिकाओं को मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने शुभकामनाएं देकर विदा किया। यह झांकी छत्तीसगढ़ के जनजातीय समाज में आदि-काल से उपस्थित लोकतांत्रिक चेतना और परंपराओं को दर्शाती है। यह झांकी भारत सरकार की थीम ” भारत : लोक तंत्र की जननी ” पर आधारित है।
श्री साय ने कहा कि गणतंत्र दिवस के अवसर पर आयोजित कर्तव्यपथ पर होने वाली परेड पर पूरे विश्व की दृष्टि हमारे भारतवर्ष पर रहती है। यह एक ऐसा माध्यम है ,जहां देशभर की कला संस्कृति से अवगत होने का मौका भी मिलता है। श्री साय ने विश्वास जताया कि अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन से हमारी बेटियां छत्तीसगढ़ की कला ,संस्कृति और पुरातन परंपराओं को देश ही नहीं बल्कि वैश्विक मानचित्र पर पहचान दिलाने में कामयाब होंगी।
28 राज्यों को टक्कर देने के बाद हुआ चयन
श्री साय ने वीडियो कॉल के माध्यम से बालिकाओं से बातचीत की और कहा पूरे छत्तीसगढ़ का मान और सम्मान आपके हाथों में हैं। उन्होंने बालिकाओं का उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि 28 राज्यों के बीच हुई कड़ी प्रतियोगिता के बाद प्रदेश को यह अवसर मिला है। छत्तीसगढ़ की बेटियों ने हमेशा प्रदेश का नाम ऊंचा किया है।आज एक बार फिर राष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन का मौका हमारे प्रदेश को मिला है।
रिखी क्षत्रिय की इस टीम में जयलक्ष्मी ठाकुर, नेहा, शशि साहू, प्रियंका साहू, हेमा, जागेश्वरी, माधुरी, पलक, उपासना टांडी, चंचल जांगड़े, प्रियंका साहू, तुमेश साहू, ईश्वरी, अनुराधा, हितु साहू, और कंचन क्षत्रिय सहित 17 लोग शामिल हैं।
क्या है मुरिया दरबार
मुरिया दरबार विश्व-प्रसिद्ध बस्तर दशहरे की एक परंपरा है, जो 600 सालों से चली आ रही है। इस परंपरा के उद्गम के सूत्र कोंडागांव जिले के बड़े-डोंगर के लिमऊ-राजा नामक स्थान पर मिलते हैं। इस स्थान से जुड़ी लोककथा के अनुसार आदिम-काल में जब कोई राजा नहीं था, तब आदिम-समाज एक नीबू को राजा का प्रतीक मानकर आपस में ही निर्णय ले लिया करते थे।
रिखी क्षत्रिय परिचय
रिखी क्षत्रिय छत्तीसगढ़ी लोक कला एवं संस्कृति के प्रति बचपन से ही समर्पित रहे हैं। वे पिछले कई वर्षों से छत्तीसगढ़ के अलग-अलग हिस्सों से दुर्लभ वाद्य यंत्रों का संग्रह कर रहे हैं। रिखी क्षत्रिय छत्तीसगढ़ शासन द्वारा भेजी जाने वाली गणतंत्र दिवस की झांकी का 9 बार नेतृत्व कर चुके हैं। यह वर्ष उनका 10वां अवसर होगा, जब वो राजपथ पर फिर से नजर आएंगे।
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