इस बार रक्षा बंधन भद्रा दोष से मुक्त, सूर्योदय से सूर्यास्त तक शुभ मुहूर्त- पण्डित ब्रह्मदत्त शास्त्री

(छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज) :– भाई बहन के रिश्तों का पावन त्यौहार राखी इस बार शनिवार को भद्रा के साए से पूरी तरह से अछूता रहेगा इसलिए बहनें दिन भर अपने भाइयों को राखी बांध सकेंगी, यह कहना है नगर के ज्योतिष भूषण पण्डित ब्रह्मदत्त शास्त्री का ।

उन्होंने कहा कि रक्षा बंधन और होलिका दहन के समय श्रावणी और फाल्गुनी भद्रा का त्याग किया जाता है, क्योंकि श्रावणी से राजा का और फाल्गुनी से प्रजा का अनिष्ट होता है, लेकिन यह सुखद संयोग है कि इस बार शनिवार 9 अगस्त को रक्षा बंधन के दिन भद्रा नहीं है, सुबह 5 : 44 से सूर्योदय के साथ ही राखी बांधने का शुभ मुहूर्त शुरू हो जाएगा।

शास्त्री जी ने इस पर्व के पौराणिक एवं ऐतिहासिक महत्व के विषय में बताया कि सदियों से यह रक्षा सूत्र बांधने की परंपरा चल रही है, देवासुर संग्राम के समय शची पति इन्द्र को इंद्राणी ने राखी बांधी थी, सुभद्रा अपने भाई श्री कृष्ण भगवान को भाभी रुक्मणि को राखी बांधा करती थी, द्रौपदी ने भी द्वारकाधीश श्री कृष्ण को अपनी साड़ी का चीर फाड़कर बांधा था तो समय आने पर भगवान ने उसकी लाज बचाई थी। पाताल लोक के राजा बलि को लक्ष्मी जी ने राखी बांधी थी, यही पावन परम्परा आज भी चल रही है। 

विशेष मुहूर्त :- इस रक्षाबंधन सर्वार्थ सिद्धि, सौभाग्य और शोभन योग जैसे अत्यंत शुभ संयोग बनने से यह पर्व अत्यंत फलदायक और मंगलकारी होगा। 09 अगस्त को राखी बांधने के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 05 बजकर 47 मिनट से प्रारंभ होगा और दोपहर 01 बजकर 27 मिनट तक रहेगा। अभिजित मुहूर्त में दोपहर 12 बजे से दोपहर 12 बजकर 53 मिनट तक राखी बांध सकते है। शाम के समय गोधूलि मुहूर्त 07 बजकर 06 मिनट से 07 बजकर 27 मिनट तक रहेगा।

संस्कृति से जोड़े रखते हैं पर्व 

ये अनूठे रीति रिवाज और परंपराएं न केवल हमें अपनी संस्कृति से जोड़े रखते हैं वरन आपस में प्रेम और अपनापन भी बढ़ाते हैं रक्षा बंधन भाई बहनों का त्यौहार तो है ही साथ ही यह वर्णाश्रम धर्म में ब्राह्मणों का पवित्र पर्व भी है, इस दिन वे श्रावणी कर्म करते हैं, अपनी जनेऊ बदलते हैं और यजमानों के घर जाकर उनके हाथों में मंत्रोच्चारण करते हुए रक्षा सूत्र बांधते हैं। 

शास्त्री जी ने बताया कि शुकवार 8 अगस्त को दोपहर 2:12 से भद्रा लग रही है जो कि अर्द्ध रात्रि पश्चात 1:48 तक रहेगी, इसलिए शुकवार को ही दोपहर से पहले श्रवण पूजन कर लेना चाहिए। गृहणियां अपने घर के मुख्य द्वार और रसोई घर के दोनों ओर रोली, कुमकुम से स्वस्तिक बनाकर राम नाम लिख कर मौली धागा, सेवई से चिपकाती है। राखी के दिन भगवान के मन्दिर में जाकर उनको भी राखी चढ़ाई जाती है, क्योंकि हमारी कुशल क्षेम के वे ही तो रक्षक हैं। आज अपने वाहनों में और खेती में साथ देने वाले बैलों को भी राखी बांधी जाती है। 

छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज से जुड़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें

https://chat.whatsapp.com/CkhMZMO6zDG8IdQsfVBnJd

यह खबर भी जरुर पढ़े

प्रोजेक्ट विजयी भव-जीत का सफर: कलेक्टर ने छात्र-छात्राओं को अच्छा नागरिक बनने का किया आव्हान, कहा छात्राएं रक्षा बंधन पर भाईयों से उपहार में मांगें हेलमेट

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button