ब्रेकिंग: खबर छापने पर कार से उड़ाने की मिली धमकी, पत्रकारों ने पुलिस से की सख्त कार्रवाई की मांग, क्या ऐसे में हो पायेगी निष्पक्ष पत्रकारिता ?

(छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज) :– नवापारा और अंचल के पत्रकारों पर हमले और धमकी की घटनाएं अब आम होती जा रही हैं। ताजा मामला गोबरा नवापारा का है, जहाँ एक यूट्यूब पत्रकार को महज इसलिए जान से मारने की धमकी दी गई क्योंकि उसने मोहल्लेवासियों के निवेदन पर गुणवत्ताविहीन सड़क निर्माण की सच्चाई उजागर कर दी।
आज हर किसी को अपने अनुकूल की खबरें चाहिए। अगर पत्रकार रेत खदानों में कवरेज के लिए जाये तो उनसे मारपीट की जाती है। सत्तापक्ष की नकारात्मक खबरें लगे तो सत्ता के मद में सत्तासीन नेता पत्रकारों को नाना प्रकार के आरोप लगाकर उनके खिलाफ साजिश रचने से बिल्कुल भी परहेज नहीं करते हैं। यह बात तो सर्वविदित है कि सवाल सदा सत्तापक्ष से ही किया जाता है। किसी प्रकार के भ्रष्टाचार को उजागर करने वाली खबर छाप दी जाए तो संबंधित लोगों द्वारा फोन पर धमकी दी जाती है। लगता है जैसे उन्हें कानून का भी खौफ नहीं है या सत्ता द्वारा उनको पोषित और पल्लवित किया जा रहा है।
झूठे आरोप लगाकर कार्रवाही का दबाव
निजी अस्पतालों द्वारा नियमों को ताक पर रखकर सरकारी खजाने की जिस प्रकार से लूट की जा रही है ऐसे मामलों को यदि तथ्य सहित उजागर किया जाता है तो अस्पताल प्रबंधन अपनी कमजोरियों और खीझ को छिपाने पत्रकारों पर ऊंची पहुंच का धौंस दिखाकर थाने में पत्रकारों पर झूठे आरोप लगाकर कार्रवाही का दबाव बनाया जाता है।
ऐसा ही वाक्या अभी कुछ दिनों पहले राजिम स्थित जगन्नाथ हॉस्पिटल में हुआ अंचल के कुछ पत्रकारों ने मरीज के परिजनों के आग्रह पर जब मरीजो से फर्जी तरीके से पैसे ऐठने का खबर प्रकाशित किया तो उन पर विज्ञापन मांग कर पैसे ऐठने का आरोप लगा कर थाने में आवेदन दे दिया गया। इन तरीकों से अगर पत्रकारों पर दबाव बनाया जायेगा तो, कुछ पत्रकार जो जनहित के मुद्दे को सामने ला रहे है वो कैसे निष्पक्ष पत्रकारिता कर पाएंगे? क्या ऐसे में सही पत्रकारिता कर पाना संभव है?
कुछ महीनो पहले जगदलपुर में हुई मुकेश चंद्राकर की हत्या इसका ताज़ा उदाहरण है। सच उजागर करने पर उनकी हत्त्या कैसे हुई यह किसी से छुपी नही है। लोगों ने भी कैंडल जलाकर इति श्री कर ली। सरकार भी पत्रकार सुरक्षा कानून लेकर नही आ पाया। केवल हवा हवाई बातें ही हो पाई है।
क्या है ताजा मामला
ताजा मामले में नवापारा निवासी नागेन्द्र निषाद ने 18 अगस्त को अपने यूट्यूब चैनल पर नवापारा नगर के वार्ड क्रमांक 03 में बन रही डामर रोड की ख़राब क्वालिटी को लेकर एक खबर प्रकाशित किया था। इस खबर में उन्होंने मोहल्लेवासियों का पक्ष भी सामने रखा था। लेकिन खबर वायरल होते ही संबंधित ठेकेदार बौखला गए और उसी दिन शाम करीब 6:57 बजे अपने मोबाइल से फोन कर पत्रकार नागेंद्र को जान से मारने की धमकी दे डाली।
पत्रकार नागेंद्र के अनुसार ठेकेदार रजत बंगानी ने फोन पर कहा कि “तुम्हें पता नहीं है, मैं कौन हूँ। वीडियो डिलीट नहीं करोगे तो कार में घूमते-घूमते कभी भी कुछ भी हो जाएगा। हमारे 8-10 लोग मिलकर मारेंगे तो कैमरे में अच्छा रिकॉर्डिंग आएगा।” इतना ही नहीं, उन्होंने अश्लील गालियाँ भी दीं और डराने-धमकाने की कोशिश की।
इस घटना से पत्रकार और उसका पूरा परिवार दहशत में है। नागेंद्र निषाद का कहना है कि पत्रकारिता के दौरान उन्हें अक्सर फील्ड में अकेले जाना पड़ता है, ऐसे में किसी भी अनहोनी की आशंका बनी रहती है। उन्होंने थाना गोबरा नवापारा में लिखित शिकायत दर्ज कराते हुए ठेकेदार के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की मांग की है।
आंदोलन की राह अपनाई जाएगी
इस तरह मिली धमकी से पत्रकारों और बुद्धिजीवियों ने भी एकजुट होकर इस घटना की निंदा की है। उन्होंने कहा है कि अगर समय रहते कार्यवाही नहीं हुई तो आंदोलन की राह अपनाई जाएगी। पत्रकारों को धमकाने और उन पर हमला करने की घटनाओं को गंभीरता से लिया जाना चाहिए, क्योंकि यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और लोकतंत्र के लिए खतरा है। पत्रकारों को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहने मात्र से कुछ नही होगा। पत्रकारों को उनके काम करने के दौरान सुरक्षा प्रदान करना और उन पर हमले करने वालों को कड़ी सजा देना आवश्यक है।
साथ ही कहा कि यदि पत्रकारों को ही सच दिखाने पर धमकी दी जाने लगी तो फिर जनता की समस्याओं को उजागर कौन करेगा ? पत्रकारिता पर यह सीधा हमला है और पुलिस-प्रशासन को तुरंत सख्त कदम उठाना चाहिए। अब देखना यह होगा कि पुलिस-प्रशासन पत्रकार की सुरक्षा और लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की गरिमा बचाने के लिए ठेकेदार पर कितनी सख्ती दिखाता है।
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