तीज पर दिखा महिलाओं का उत्साह, फुलेरा सजा कर की पूजा अर्चना, घर पर बनाए छत्तीसगढ़ी पकवान

(छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज) :- पति की उम्र लंबी हो… परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहे… मन में यही कामना लिए महिलाओं ने गुरुवार की रात से लेकर शनिवार सुबह तक निर्जला व्रत रखा। इस दौरान शुक्रवार को महिलाओं ने भगवान की पूजा अर्चना की तथा पति के लंबी उम्र का आशीर्वाद मांगा। सुहागिन महिलाओं ने एक साथ विधि विधान के साथ पूजा अर्चना की। तीज पर्व को लेकर सुहागन महिलाओं में उत्साह का माहौल था।
विशेष कर नव विवाहित महिलाएं सोलह श्रृंगार से सजी हुई थी। तीज पर्व को लेकर बाजार में भी जगह-जगह रौनक बनी हुई थी। नगर के कई मंदिर में फुलेरा सजाया गया था। इसके सामने बैठकर मिट्टी से बनाए भगवान शिव-पार्वती के प्रतिमा की पूजा की। इस बीच कथाएं भी पढ़ी गईं और भजन भी गाए। शनिवार सुबह फुलेरा और शिव-पार्वती की प्रतिमा का नदी-तालाब में विसर्जन करने के बाद महिलाओं ने उपवास तोडा ।
बनाए छत्तीसगढ़िया पकवान
घर पर महिलाओं ने विभिन्न प्रकार छत्तीसगढ़िया पकवान बनाए और ग्रहण किया। महिलाओं ने बताया कि घर पर सिंघाड़ा, तिखुर, मडिया और सूजी का हलवा बनाया गया। वहीं छत्तीसगढ़ी व्यंजन ठेठरी, खुरमी, नमकीन, अइरसा, गांठिया, कुसली-भूजिया, पपची, बिडिया के अलावा बड़ा, पुड़ी, पकोड़ा, आलू चाप बनाया खूब आनंद लिया।
छत्तीसगढ़ की महिलाए अपने वैवाहिक जीवन के सुखमय के साथ साथ परिवार की सुख समृद्धि के लिए तथा अपने पति के दीर्घायु कल्याण सुखद दाम्पत्य जीवन के लिए हरतालिका तीजा पर्व को महाव्रत के रूप में निर्जला उपवास करती है। इसके एक दिन पहले करू भात खाकर अपना उपवास शुरू करती है।
उपवास रहते हुए पूजा की विशेष तैयारी के साथ साथ विभिन्न प्रकार के पकवान भी बनाते उपवास के दिन रात्रि में फुहेड़ा बनाकर फूलो से सजाकर मिट्टी से बने भगवान शंकर पार्वती गणेश नंदी का विशेष पूजा कर भजन कीर्तन करते हुए रात्रि जागरण के बाद प्रातः स्नान कर शिव पार्वती की पूजा कर प्रसाद के साथ घर में बने पकवान ग्रहण कर अपना उपवास तोड़ती है।
अर्धरात्रि तक मंदिर-देवालयों में भी महिलाएं पहुंचकर पूजा अर्चना कर सुख समृद्धि की कामना की। करवा चौथ की तरह ही पति की लंबी आयु के लिए महिलायें तीज का उपवास रखती है । पौराणिक कथाओं के अनुसार माता पार्वती ने भी भगवान शिव के लिए यह व्रत किया था और बिना जल ग्रहण किए उपवास करते हुए भोलेनाथ की पूजा की थी।
यह व्रत महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती के प्रेम और समर्पण के प्रतीक के रूप में करती हैं। यह माना जाता है कि जो महिलाएं इस व्रत को पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ करती हैं, उन्हें वैवाहिक जीवन में सुख, समृद्धि, और सौभाग्य प्राप्त होता है। इसके साथ ही अविवाहित कन्याएं इस व्रत को अच्छे वर की प्राप्ति के लिए करती हैं।
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