2900 बीएड योग्यता धारी युवा होने जा रहे बेरोजगार, अनुयय यात्रा के रूप में सड़कों पर उतर कर मांग रहे सरकार से न्याय
सेवा सुरक्षा के लिए संघर्षरत युवा उतरे सड़क पर
(छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज) :- छत्तीसगढ़ के सुदूर अंचलों में सेवाएं दे रहे 2900 बीएड योग्यता धारी युवा अब बेरोजगार होने जा रहे हैं। ये युवा राज्य के बस्तर, सरगुजा सम्भाग में अपनी सेवायें दे रहे है। नीतिनिर्माताओं की चूक से केवल 2900 युवा ही नही बल्कि इनके परिवार के 15000 सदस्य भी प्रभावित होंगे। जिसका सीधा असर वर्तमान सरकार पर आने वाले नगरीय निकाय चुनाव और पंचायत चुनाव में भी पड़ सकता है।
सड़कों पर उतरे युवा
अपने क्षेत्र के सभी जनप्रतिनिधियों को ज्ञापन सौंपने के बाद शासन को अपनी समस्या से अवगत कराने के लिए सरगुजा सम्भाग के लगभग 1200 सहायक शिक्षक आज शनिवार को अनुनय यात्रा के तहत अम्बिकापुर से रायपुर तक शांतिपूर्ण पैदल मार्च कर रहे हैं, जिसके लिए प्रशासन द्वारा अनुमति ली गई है। इस पद यात्रा के समर्थन हेतु सभी शिक्षक संगठनों को भी आमंत्रित किया गया है।
मुख्यमंत्री से कर रहे हैं ये माँग
वे मुख्यमंत्री से मांग कर रहे है कि हम उत्पीड़ितों की मानसिक दशा, आजीविका संकट तथा सामाजिक प्रतिष्ठा पर पहुँचे आघात को संज्ञान में लेकर विधिक तथा प्रशासनिक युक्तियों से हम निर्दोष सहायक शिक्षकों की सेवाएं सुरक्षित रखने का प्रयास करें।
हो रहे बेरोजगार
युवाओं का कहना है कि सरगुजा तथा बस्तर संभाग के सुदूर अंचलों में हम पिछले 15 माह से निष्ठापूर्वक अपनी सेवाएँ दे रहे है। अब हम 2855 बी.एड. प्रशिक्षित सहायक शिक्षक अब बेरोज़गार होने जा रहे हैं। हम सभी अभ्यर्थीयों ने NCTE (2018) के गजट, छत्तीसगढ़ के राजपत्र तथा शिक्षा-विभाग द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए व्यापम द्वारा आयोजित परीक्षा में उच्च अंक प्राप्त कर नियमतः नियुक्त हुए थे। नीति-निर्माताओं की चूक तथा विधिक नियमों में अप्रत्याशित परिवर्तन की वजह से हम 2855 युवाओं पर पदमुक्ति का संकट मंडरा रहा है।
क्या है मामला
बता दे कि परीक्षाफल जारी किए जाने के बाद शिक्षा की गुणवत्ता का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट द्वारा NCTE 2018 का गजट ख़ारिज कर दिया गया। अब उच्चन्यायालय (बिलासपुर) द्वारा दो हफ़्तों के भीतर बीएड के स्थान पर डीएड को नियुक्ति देने का आदेश दिया गया है।
योग्यता अनुसार करे समायोजन
उन्होंने बताया कि पिछले 15 माह से अपनी जमापूँजी लगाकर न्यायालय की लड़ाई लड़ रहे थे। अब सरकार से सेवा सुरक्षा की गुहार लगा रहे हैं। कोर्ट के फ़ैसले के बाद राज्य के विधायकों तथा सांसदों के पास भटकते इन शिक्षकों का कहना है कि शासन-प्रशासन, नीतिनिर्माताओं की ग़लतियों की सजा हम मेहनतकश युवाओं को दी जा रही है, हम सभी अभ्यर्थी बी.एड., स्नातक/स्नाकोत्तर, टी.ई.टी. की योग्यता रखते हैं। भर्ती परीक्षा में चयनित होकर हमने अपनी पात्रता का प्रमाण दिया है। केवल परीक्षा के उपरांत नियमों में बदलाव की वजह से हमें बाहर किया जा रहा है। राज्य में शिक्षा विभाग के हज़ारों पद रिक्त हैं, हम चयनितों को इनकी योग्यता के अनुसार विभाग में समायोजित किया जा सकता है।
उच्च न्यायालय में सुनवाई के दौरान जस्टिस नरेंद्र व्यास द्वारा भी सरकार को इनके समायोजन का सुझाव दिया गया था। अब अनुनय यात्रा के द्वारा ये युवा अम्बिकापुर से रायपुर तक का सफ़र तय कर साय सरकार से सेवा-सुरक्षा की अनुनय करने सड़क पर निकले हैं।
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