लोकसभा चुनाव 2024 : महासमुंद लोकसभा मे उठ रही नए चेहरे की मांग, क्या बदला जाएगा चेहरा ! जानिए क्या कहता है समीकरण

(छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज) :- विधानसभा चुनाव के बाद अब अप्रेल-मई में होने वाले लोकसभा चुनाव की सुगबुगाहट शुरू हो गई है। लोकसभा चुनाव के मद्देनजर छत्तीसगढ़ में भाजपा ने अपनी तैयारी प्रारंभ कर दी है। शनिवार को भाजपा ने सभी 11 लोकसभा क्षेत्र में प्रभारियों की नियुक्ति कर दी है। महासमुंद लोकसभा क्षेत्र की बात करें, तो यहां की जिम्मेदारी मोतीलाल साहू को दी है, उन्हें लोकसभा चुनाव प्रभारी बनाया गया है। श्रीमती भावना बोहरा को सह प्रभारी, शंकरलाल अग्रवाल को संयोजक और संतोष उपाध्याय को सह संयोजक बनाया गया है। वही कांग्रेस की सक्रियता चुनाव को लेकर अभी दिखाई नहीं दे रही है।
बता दे कि मोतीलाल साहू महासमुंद क्षेत्र से अच्छा चुनावी अनुभव है । साथ ही साहू समाज के 2 बार प्रदेश अध्यक्ष रहे है। उनके अनुभव का लाभभाजपा को मिलेगा वही साहू समाज को साधने मे आसानी होगी। सामाजिक और राजनीतिक रूप से महासमुंद क्षेत्र मे उनकी अच्छी पकड़ है। जिससे साहू समाज के अलावा अन्य सामाजिक समीकरण बनाने भाजपा के लिए राह आसान हो जाएगी ।
इधर भाजपा ने लोकसभा चुनाव के लिए अपने संभावित प्रत्याशियों को चुनने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। भाजपा पिछले लोकसभा चुनाव के मुकाबले ज्यादा सीट जीत सके, इसके लिए संभावित उम्मीदवारों के अलावा लोकसभा सीटों की स्क्रीनिंग जरूरी है और पार्टी इस काम में लग गई है। इस बार हर राज्य के राजनीतिक जरूरतों के हिसाब से प्रत्याशी तय हो सकते हैं, क्योंकि जातीय जनगणना और समुदाय आरक्षण की मांग के बीच सियासी समीकरण नए मोड़ ले रहे हैं।
साहू समाज से उठ रही मांग
महासमुंद लोकसभा क्षेत्र में इस बार साहू समाज से नए चेहरे की मांग उठने लगी है। राजिम, गरियाबंद, धमतरी, महासमुंद जैसे क्षेत्रों मे अलग अलग प्रत्याशी काफी सक्रिय दिख रहे है । यहां की जनता चाहती है कि क्षेत्र में एक बार फिर साहू समाज से नए चेहरे को मैदान में उतारा जाए। इधर भाजपा के सीनियर नेताओं की माने तो जातीय जनगणना की मांग के चलते सीटों के जातीय समीकरण आने वाले दिनों में प्रभावित हो सकते हैं। क्षेत्र में जिस जाति की संख्या ज्यादा, वहां उसी का प्रत्याशी मैदान में उतारा जाएगा।
महासमुंद क्षेत्र में साहू समाज की अधिकता होने के कारण यहां समाज के प्रत्याशी को मैदान में उतारने की बात कही जा रही है। पिछले चुनावों में साहू समाज के निर्णायक वोट के चलते यहां के प्रत्याशी लोकसभा तक पहुंचे हैं। वहीं चुनाव के मद्देनजर संभावित प्रत्याशी अब सक्रिय हो गए हैं। क्षेत्र में लगातार दौरा करना प्रारंभ कर दिया है।
क्या कहता है समीकरण
माना जा रहा है कि इस बार महासमुंद लोकसभा चुनाव में भाजपा का प्रत्याशी एकदम नया अप्रत्याशित चेहरा हो सकता है। यहां पर अगर गौर करें तो 2029 के चुनाव में महिला आरक्षण के चलते भाजपा को महिला प्रत्याशी की जरूरत भी रहेगी। फिलहाल भाजपा को मजबूत स्थिति एवं संभावना के चलते महासमुंद में भाजपा किसी महिला पर भी दांव लगा सकती है। फिलहाल लोकसभा प्रत्याशी के लिए आंकलन करना अंधेरे में तीर चलाने जैसा है। पता नहीं मोदी-शाह के तरकश से कौन सा सीट निकलकर सीधे निशाने पर लग जावे।
इन दिनों प्रधानमंत्री अपने संबोधनों में संकेत देते रहे हैं कि पार्टी में वंशवाद, परिवारवाद, बड़े चेहरों की बजाय समर्पित मेहनती एवं जनता से जुड़े कार्यकर्ता को प्रमुखता देकर छोटे से छोटे कार्यकर्ता के मन में पार्टी के प्रति समर्पित रहने वालों की हौसला अफजाई करना है।
इस दृष्टि से महासमुंद लोकसभा की बात की जावे तो 2019 की भांति 2024 में भी अगर भाजपा प्रयोग करती है तो अंचल के अनेक भाजपा कार्यकर्ता के अरमानों में पंख लग सकते हैं। महासमुंद लोकसभा के आठों विधानसभा में ओबीसी की बहुलता से इंकार नहीं किया जा सकता। अनेक बड़े बड़े चेहरों से भरा महासमुंद लोकसभा क्षेत्र में मोदी-शाह की जोड़ी का कमाल किसी भी नये भाजपा कार्यकर्ता के पक्ष में लाटरी खोल सकता है।
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