छत्तीसगढ़ में वन विभाग की अनूठी पहल : पर्यावरण परिक्रमा पथ बना प्रकृति, संस्कृति और आध्यात्मिकता का संगम

(छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज) :- डोंगरगढ़ के पहाड़ी वनों में पर्यावरण परिक्रमा पथ के अंतर्गत स्थापित पथ लगभग 133 हेक्टेयर में फैला हुआ है और मां बम्लेश्वरी मंदिर, प्रज्ञागिरी बौद्ध स्थल तथा जैन तीर्थ केंद्र जैसे प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों को जोड़ता है। यह परियोजना न केवल जैव विविधता के संरक्षण और पर्यटकों के लिए आध्यात्मिक और सांस्कृतिक का भी संगम है। वन विभाग ने इस क्षेत्र की विशिष्टता को बढ़ाने के लिए कई सांस्कृतिक और धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण दैव वृक्षों (पवित्र पेड़ों) को लगाया। इनमें बरगद, कल्पवृक्ष, पीपल, कपूर, नीम, रुद्राक्ष, बेल, चंदन, महुआ, कुसुम, पारिजात, चंपा, बांस, आंवला, हर्रा, बहेड़ा और रामफल जैसे पेड़ शामिल हैं।

पथ में 31 देवी-देवताओं की प्रतीकात्मक मूर्तियाँ भी

इस परिक्रमा पथ की आध्यात्मिकता को और समृद्ध करने के लिए छत्तीसगढ़ के लोगों द्वारा पूजे जाने वाले 31 देवी-देवताओं की प्रतीकात्मक मूर्तियाँ भी पर्यावरण परिक्रमा पथ पर स्थापित की गई हैं, जिनमें ताला गांव के रुद्र शिव, बारसूर के श्री गणेश जी, गंडई की मां नर्मदा माता, साजा की मां महामाया, धमतरी की मां अंगार मोती, अमलेश्वर की मां पीतांबरा, रतनपुर की मां महामाया, दंतेवाड़ा की मां दंतेश्वरी, डोंगरगढ़ की मां बम्लेश्वरी देवी, महासमुंद की मां खल्लारी माता, नारायणपुर की मां मावली माता शामिल है।

इसी तरह जांजगीर चांपा की मां महाकाली अड़भार, गरियाबंद की मां घटारानी, झलमला की मां गंगा मइया, भोरमदेव के श्री महाकाल भैरव, बलौदाबाजार के जोगीडीपा की मां चंडी दाई, बागबहरा की मां चंडी माता, धमतरी की मां बिलईमाता, जांजगीर-चांपा की मां चंद्रहासिनी और शिवरीनारायण की मां अन्नपूर्णा माता शामिल हैं। ये मूर्तियाँ छत्तीसगढ़ की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक हैं और प्रकृति के संगम के साथ आगंतुकों के लिए एक अद्वितीय आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक अनुभव को सजीव करती हैं।

हावड़ा ब्रिज की तर्ज पर पुल का निर्माण

यह पथ अपने अद्वितीय निर्माण के कारण पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन गया है। इसमें चट्टानी मार्ग, कांक्रिट सीढ़ियां, सोलर लाइटिंग और कोलकाता के हावड़ा ब्रिज की तर्ज पर निर्मित पुल शामिल हैं। बड़ी चट्टानों को छत्तीसगढ़ की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर से जुड़े चित्रों से सजाया गया है, जो क्षेत्र की सुंदरता को और बढ़ाते हैं। वन विभाग ने इस क्षेत्र को संरक्षित करने के लिए विशेष प्रयास किए हैं। चेन-लिंक बाड़बंदी, मृदा संरक्षण और गैप प्लांटेशन जैसी योजनाओं के माध्यम से क्षेत्र में वन ह्रास को रोका गया है। इसके परिणामस्वरूप यह क्षेत्र जंगली सूअर, खरगोश, सरीसृप और विभिन्न पक्षी प्रजातियों का सुरक्षित निवास स्थल बन गया है।

10 रुपये का प्रवेश शुल्क

इस परियोजना का प्रबंधन ग्राम वन सुरक्षा समिति रजकट्टा द्वारा किया जाता है। समिति स्थानीय ग्रामीणों को रोजगार प्रदान करती है और मात्र 10 रुपये का प्रवेश शुल्क एकत्र करती है। इन फंडों का उपयोग संरक्षण कार्यों और सामुदायिक कल्याण के लिए किया जाता है। एक स्थानीय महिला सदस्य, ईश्वरी नेताम ने बताया, इस परियोजना ने हमें आजीविका के अवसर प्रदान किए हैं और महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया है। छत्तीसगढ़ के प्रधान मुख्य वन संरक्षक व्ही. श्रीनिवास राव ने कहा कि पर्यावरण परिक्रमा पथ छत्तीसगढ़ वन विभाग के सतत पर्यावरण प्रबंधन का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।

छत्तीसगढ़ राज्य में इको-टूरिज्म को बढ़ावा देने के उद्देश्य से वन विभाग ने पर्यावरण परिक्रमा पथ की अनूठी पहल की है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की प्रेरणा और वन मंत्री केदार कश्यप के मार्गदर्शन में विकसित यह पथ पर्यावरण संरक्षण, आध्यात्मिकता और सांस्कृतिक धरोहर का उत्कृष्ट संगम बन गया है।

छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज से जुड़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें

https://chat.whatsapp.com/JMN3hOxWi777B1QljQHV9e

यह खबर भी जरुर पढ़े

मुख्यमंत्री ने रायपुर-अम्बिकापुर-बिलासपुर के लिए नई विमान सेवा का किया शुभारंभ, शुरूआती किराया 999 रूपये

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error:
Parineeti Raghav Wedding : परिणीति राघव हुए एक-दूजे के , सामने आई ये शानदार फ़ोटोज janhvi kapoor :जान्हवी कपूर की ये लुक , नजरे नहीं हटेंगी आपकी Tamanna bhatia : तमन्ना भाटिया ने फिल्म इंडस्ट्री में पूरे किए 18 साल भूतेश्वरनाथ महादेव : लाइट और लेजर शो की झलकिया Naga Panchami : वर्षों बाद ऐसा संयोग शिव और नाग का दिन Belpatra Khane Ke Fayde : सेहत के लिए है भगवान शिव का वरदान Bhola Shankar Film