पहले के जैसे अब जिंदगी नहीं है, हम सही हैं, या समय सही नहीं है : बौद्ध पूर्णिमा पर कवियों ने बिखेरी छटा

(छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज) :- बौद्ध पूर्णिमा के शुभ अवसर पर अंचल के त्रिवेणी संगम साहित्य समिति के कवियों द्वारा भव्य काव्य गोष्ठी का आयोजन गायत्री मंदिर परिसर राजिम में संपन्न हुआ । कार्यक्रम में सभापति के रूप में नरेंद्र पार्थ शिक्षक अभनपुर ब्लॉक विराज मान थे । सर्वप्रथम माता सरस्वती एवं गौतम बुद्ध के चित्र पर चंदन वंदन माला अर्पण कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया ।
सरस्वती पुत्रों ने कविता के रूप में छटा बिखरने के पूर्व रोहित साहू माधुर्य ने माता सरस्वती का वंदन गान प्रस्तुत किया । तत्पश्चात युगल किशोर साहू मानस टिकाकार ने रामचरितमानस के संकट मोचन हनुमान पर भक्तिमय, कविता प्रस्तुत कर भाव विभोर कर दिया। श्रवण कुमार साहू प्रखर ने संस्कार से संबंधित मन में रखो तुम शांति रिश्तो में ना हो भ्रांति की पंक्तियों के साथ शानदार प्रस्तुति दी ।
समय की महत्ता
छग्गूयास आडिल ने कहा, पहले के जैसे अब जिंदगी नहीं है हम सही हैं या समय सही नहीं है, इस पंक्ति के माध्यम से समय की महत्ता को बखूबी रूप से प्रस्तुतिकरण किया। कोमल सिंह साहू ने बेटी पर जोरदार कविता पढ़ी मकसूदन राम साहू बरीवाला ने सामाजिक विषमता पर कविता पढ़ी । भरत लाल साहू उर्फ प्रभु ने जल संरक्षण की महत्व जल की उपयोगिता पर कविता पढ़ी ।
तुषार शर्मा ने महाकाल भगवान शिव शंकर पर भक्तिमय कविता पढ़ी। किशोर निर्मलकर, गीतकार ने निंदिंया उड़ा के चैन गवा के प्रेम रस की कविता पढ़ी । प्रिया देवांगन ने मां का आंचल मां की ममता सारे जग से न्यारी है जो सबसे ही प्यारी है मां पर कविता पढ़ी । रोहित साहू माधुर्य ने पाषाण पत्थर की महिमा पर कविता पढ़ी । डॉ रमेश कुमार सोनसायटी करमवीर से सम्मानित कवि ने पेड़ और पर्यावरण पर कविता पढ़ी। नरेंद्र पार्थ साहू सभापति ने गौतम बुद्ध के संपूर्ण जीवन पर आधारित कविता पढ़ उनके जीवन का बखान किया । कार्यक्रम का संचालन किशोर निर्मलकर गीतकार ने किया एवं आभार प्रदर्शन डॉ रमेश सोनसायटी ने किया।
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