सशिमं नवापारा में मनाई गई विवेकानंद जयंती, स्वामी विवेकानंद की वेशभूषा में बच्चों ने निकाली रैली

युवा वर्ग अपनी शक्ति को बर्बाद न दें - गौरीशंकर निर्मलकर

(छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज) :- सरस्वती शिशु मंदिर नवापारा में करोड़ों युवाओं के पथ-प्रदर्शक, प्रेरणा स्रोत संत स्वामी विवेकानंद की जयंती को युवा दिवस के रूप में मनाया गया। स्वामी विवेकानंद की वेशभूषा में स्कूल पहुचें बच्चों ने रैली निकाली। जिसके बाद कार्यक्रम का शुभारंभ विद्यालय के प्राचार्य गौरीशंकर निर्मलकर, वरिष्ठ शिक्षक नरेश यादव, कृष्ण कुमार वर्मा,नरेंद्र साहू ने विवेकानंद के छायाचित्र पर दीप प्रज्जवलित कर किया।

इस अवसर पर प्राचार्य गौरी शंकर निर्मलकर ने कहा कि आज के युवा वर्ग को, जिसमें देश का भविष्य निहित है, और जिसमें जागरण के चिह्न दिखाई दे रहे हैं, अपने जीवन का एक उद्देश्य ढूँढ लेना चाहिए। हमें ऐसा प्रयास करना होगा कि उनके भीतर जगी हुई प्रेरणा तथा उत्साह सही रास्ते पर संचालित हो। युवाओं के प्रति स्वामी जी का आह्वान है कि अपनी शक्ति को व्यर्थ बरबाद न होने देना, अतीत की ओर देखो, जिस अतीत ने तुम्हें अनंत जीवन रस प्रदान किया है, उससे पुष्ट हो। यदि अतीत की परंपरा का सदुपयोग कर सको, उसके लिए गौरव का बोध कर सको, तो फिर उसका अनुसरण कर अपना पथ निर्धारित करो।

प्रथम वाक्य ने जीत लिया सबका दिल 

नरेश यादव ने अपने उद्बोधन में कहा कि स्वामी विवेकानन्द का जन्म 12 जनवरी 1863 को हुआ था। उनका वास्तविक नाम नरेन्द्र नाथ दत्त था। उन्होंने अमेरिका स्थित शिकागो में सन् 1893 में आयोजित विश्व धर्म महासभा में भारत की ओर से सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किया था। उन्हें 2 मिनट का समय दिया गया था किन्तु उन्हें प्रमुख रूप से उनके भाषण का आरम्भ “मेरे अमेरिकी बहनों एवं भाइयों” के साथ करने के लिये जाना जाता है उनके संबोधन के इस प्रथम वाक्य ने सबका दिल जीत लिया।

वे अपने गुरु रामकृष्ण से काफी प्रभावित थे जिनसे उन्होंने सीखा कि सारे जीवों मे स्वयं परमात्मा का ही अस्तित्व हैं। इसलिए मानव जाति जो मनुष्य दूसरे ज़रूरत मंदो की मदद करता है या सेवा द्वारा परमात्मा की भी सेवा की जा सकती है। उनके जन्मदिन को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है।

बच्चों ने निकाली रैली

शिक्षिका सरोज कंसारी ने कहा कि स्वामी विवेकानंद का कहना हैं कि बहती हुई नदी की धारा ही स्वच्छ, निर्मल तथा स्वास्थ्यप्रद रहती है। उसकी गति अवरुद्ध हो जाने पर उसका जल दूषित व अस्वास्थ्य कर हो जाता है। नदी यदि समुद्र की ओर चलते-चलते बीच में ही अपनी गति खो बैठे, तो वह वहीं पर आबद्ध हो जाती है। प्रकृति के समान ही मानव समाज में भी एक सुनिश्चित लक्ष्य के अभाव में राष्ट्र की प्रगति रुक जाती है और सामने यदि स्थिर लक्ष्य हो, तो आगे बढ़ने का प्रयास सफल तथा सार्थक होता है। हमारे आज के जीवन के हर क्षेत्र में यह बात स्मरणीय है। अब इस लक्ष्य को निर्धारित करने के पूर्व हमें विशेषकर अपने चिरन्तन इतिहास, आदर्श तथा आध्यात्मिकता का ध्यान रखना होगा। स्वामी विवेकानंद जी ने इसी बात पर सर्वाधिक बल दिया था।

विवेकानंद के वेशभूषा में आएं सभी नन्हें-मुन्ने भावी महापुरुषों का तिलक वंदन कर आरती उतारकर स्वागत किया गया । तत्पश्चात दम्मानी कालोनी से होते हुए ओम शांति कालोनी, नवीन प्राथमिक शाला से मैडम चौक होते हुए देशभक्ति से ओतप्रोत नारे लगाते हुए समस्त बच्चो की सामूहिक रैली निकाली गई। इस अवसर पर नरेश यादव, कृष्ण कुमार वर्मा, नरेंद्र साहू, तामेश्वर साहू, नारायण प्रसाद पटेल, संजय सोनी, वाल्मिकी धीवर, परमेश्वर सिन्हा, मंजू , ममता, देवकी साहू, लोमेश साहू, चेतन साहू उपस्थित रहें।

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