यहां चलता है सिर्फ माफियाओं का राज: नहीं है शासन-प्रशासन का कोई खौफ, एनजीटी द्वारा प्रतिबंध के बावजूद भी रेत का अवैध खनन धड़ल्ले से जारी

अधिकारियों की मिलीभगत और राजनीतिक संरक्षण के चलते अवैध खनन को मिल रहा बढ़ावा

(छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज) :–  एनजीटी के निर्देश पर 15 जून से 15 अक्टूबर तक नदी-नालों से रेत के उत्खनन पर प्रतिबंध है। प्रतिबंध के बावजूद भी रेत का अवैध खनन और परिवहन लगातार जारी है। रेत माफिया बेखौफ इस काम को अंजाम दे रहे हैं। वहीं अधिकारियों से शिकायत करने के बाद भी उचित कार्रवाई नहीं की जा रही है। आमजन आशंका जताते हुए कहते है कि अधिकारियों के मिलीभगत से ही अवैध खनन को बढ़ावा मिल रहा है। ये छत्तीसगढ़ है यहां एनजीटी का नहीं विभाग के अधिकारियों की मनमर्जी चलती है। प्रशासन के इसी सुस्त रवैये के कारण रेत माफियाओं के हौसले लगातार बुलंद होते जा रहे हैं।

रात के अंधेरे में होता है खनन और परिवहन

रात 10 बजे के बाद राजिम महानदी के किनारे रेत वाहनों की लंबी लाईन लग जाती है और एक-एक कर ये वाहन रेत लोड कर निकल जाते हैं। बताया जा रहा है कि गरियाबंद जिले के ग्राम पितईबंद, बकली और चौबेबांधा, रायपुर जिले के ग्राम तर्री, पारागांव, लखना, धमतरी जिले के ग्राम परेवाडीह, चमसूर के रेत घाटों में चैन माउंटेन मशीन लगाकर उत्खनन किया जा रहा है। जबकि एनजीटी के निर्देश पर रेत के उत्खनन पर प्रतिबंध है। 

यह जानकारी भी सामने आई है कि रात होते ही रेत माफिया के गुर्गे सक्रिय हो जाते हैं। ये गुर्गे पहले रास्तों की रेकी करते हैं और फिर रेत वाहनों में लोड कराकर सीमा क्षेत्र से बाहर निकालने का काम करते हैं।

राजनीतिक संरक्षण के चलते फल – फूल रहा है काला कारोबार

अवैध उत्खनन को देखकर ऐसा लगता है कि रेत माफियाओं को राजनीतिक संरक्षण भी प्राप्त है। यही कारण है कि इनके खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पा रही है, जिसके चलते प्रशासन की नाक के नीचे माफिया रात के अंधेरे में खुलेआम रेत उत्खनन कर रहे हैं। हालांकि खनिज विभाग और राजस्व विभाग समय-समय पर अवैध रेत उत्खनन और भंडारण के खिलाफ नाममात्र की कार्रवाई कर अपनी पीठ खुद थपथपा लेता है।

राजिम विधायक की चेतावनी भी नहीं रोक पा रहा यह कारोबार  

बता दें कि 9 जून को राजिम क्षेत्र के ग्राम पितईबंद में अवैध खनन की कवरेज करने पहुंचे पत्रकारों के साथ रेत माफिया के गुर्गों ने मारपीट की थी। मामले की शिकायत के बाद प्रशासन और पुलिस ने कार्रवाई की। पत्रकारों ने हमले का विरोध किया। इसके बाद राजिम विधायक रोहित साहू ने गरियाबंद कलेक्टर और एसपी को कड़ी चेतावनी देकर जिले की सभी अवैध रेत खदानों को बंद कराने और कार्रवाई का निर्देश दिया था।

तत्संबंध में विधायक ने प्रेस कॉन्फ्रेंस लेकर पत्रकारों को जानकारी दी थी। कलेक्टर ने अवैध रेत उत्खनन और परिवहन को रोकने के लिए राजस्व, वन विभाग, खनिज विभाग की संयुक्त टास्क फोर्स टीम भी बनाई है। वहीं खदानों के  रास्तों पर कंक्रीट की दीवाल बनाने का आश्वासन भी मिला था। इसके बावजूद क्षेत्र में धड़ल्ले से अवैध रेत उत्खनन किया जा रहा है, और महानदी को बर्बाद किया जा रहा है। साथ ही सरकार को राजस्व का चूना भी लगाया जा रहा है। अब ऐसे में सवाल यह उठता है कि सारे नियमों को ताक में रखकर यह अवैध काम चल किसके शह में रहा है?    

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