हनुमान जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया : मंदिरों में गूंजा जय श्रीराम-जय श्रीराम, जगह-जगह हुआ विविध आयोजन
अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता हैं संकट मोचक
(छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज) :- हनुमान जन्मोत्सव के पावन अवसर पर जगह-जगह विविध आयोजन किया गया। शहर के विभिन्न चौक-चौराहों, हनुमान मंदिरों सहित अनेकों जगह पर प्रभु श्रीराम भक्त हनुमान जी की जयंती धूमधाम से मनाई गई। सभी हनुमान मंदिरों में विशेष पूजन का कार्यक्रम हुआ सुबह से मंदिरों में भक्तों का तांता लगा रहा। जगह-जगह हनुमान चालीसा व सुंदरकांड के पाठ के साथ ही भव्य भंडारे का आयोजन हुआ।
गुरूवार को हनुमान जयंती पर मंदिरों में दर्शन-पूजन को लेकर भक्तों की भीड़ लगी रही। शहर के बस स्टैण्ड स्थिति शर्मा भोजनालय में जबरदस्त हनुमान चालिसा का पाठ किया गया। वहीं हवन के बाद भंडारे का श्रीगणेश हुआ तो श्रद्धालुओं की कतार प्रसाद ग्रहण करने को उमड़ पड़ी। वैसे हनुमान जयंती को लेकर सर्व हिन्दू समाज, बजरंग दल के अलावा बड़ी संख्या में भक्तों ने तैयारी पहले की कर ली थी। जन्मोत्सव को लेकर पूरे शहर को सजाया गया है। ध्वज, तोरण, पताकों के साथ चारों तरफ भगवा रंग में नजर आ रहा है। जयंती अवसर पर हवन अनुष्ठान, झंडारोहण, आरती, प्रसाद वितरण का कार्यक्रम भंडारे के पूर्व सभी जगह हुआ जिसमें लोगों ने मंदिर पहुंचकर पूजन कार्यक्रम में हिस्सा लेकर बजरंगबली के प्रति अपनी आस्था जाहिर की।
श्री सालासर सुन्दरकाण्ड जनकल्याण एवम हनुमान चालीसा समिति नवापारा नगर द्वारा हनुमान जी का पंचमेवा से विशेष श्रृंगार किया गया
हनुमान जी की प्रसिद्धि एवं लोकमान्यता बहुत अधिक है – शास्त्री
नवापारा नगर के ज्योतिष भूषण पण्डित ब्रह्मदत्त शास्त्री ने कहा कि हनुमान जी के जन्मोत्सव की प्रसिद्धि एवं लोकमान्यता बहुत अधिक है। वाल्मीकि रामायण के किष्किंधा काण्ड के सर्ग 66 में वर्णन आता है कि माता अंजना के गर्भ से शनिवार के दिन सूर्योदय के समय हनुमानजी का जन्म हुआ था, इसलिए आज सूरज की पहली किरण के निकलते ही लोग हनुमानजी का जन्मोत्सव मानना शुरू कर देते हैं। हनुमानजी श्री रामभक्त हैं किंतु श्रीरामजी से कहीं ज्यादा हनुमानजी के मंदिर हैं और उनकी पूजा सेवा ज्यादा की जाती ह।, शनिवार और मंगलवार को इनके मंदिरों में ज्यादा भीड़ रहती है। अयोध्याधाम की हनुमानगढ़ी, राजस्थान के सालासर धाम, मेहंदीपुर के बालाजी महाराज, सवाईमाधोपुर, मलारना डूंगर के डेरोली के बालाजी के मंदिर जग प्रसिद्ध हैं।
शास्त्री जी ने बताया कि आज हस्त नक्षत्र युक्त चैत्र पूर्णिमा को जब कि सूर्य और गुरु दोनों में राशि में है, इस पर्व की महिमा और बढ़ गई है। हनुमान जी ने सूर्यदेव को अपना गुरु बनाया था और वे इसी कारण ज्ञानीनाम अग्रगण्य कहलाए थे। उन्हें उद्भट व्याकरण कार, संगीत ज्ञान महंता,भाष्य वार्तिक, मनोविज्ञान में निपूर्ण, राजनीति में कुशल और अपराजेय योद्धा माना जाता है। हनुमानजी सप्तचिरंजीवियो में से एक हैं इसलिए उनकी पूजा उपासना शीघ्र फलदाई मानी जाती है। वे अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता हैं संकट मोचक हैं जो व्यक्ति हनुमान, अंजनिसुत, वायुपुत्र, महाबल, रामेष्ट, फाल्गुन सखा, पिंगाक्ष, अमित विक्रम, उदधिक्रमण, सीताशोक नशावन,लक्ष्मण प्राणदाता और दशग्रीव दर्पहा इन 12 नामों का प्रतिदिन स्मरण करता है उसकी सारी बाधाओं को हनुमानजी महाराज दूर कर देते हैं और मनोकामनाओं को पूरा करते हैं।