13 वर्षों में ही महानदी पुल हो रहा जर्जर, ओवरलोड रेत वाहनों से हो रहा ज्यादा नुकसान, जिम्मेदार अधिकारियों की उदासीनता बनी बड़ी वजह

(छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज) :– राजिम-नवापारा को जोड़ने वाली महानदी पुल मात्र 13 वर्षों में ही जर्जर होने लगी है। लोहे ने सीमेंट का प्लास्टर छोड़ना प्रारंभ कर दिया है। पुल में जगह-जगह दरारें हैं और छड़ बाहर निकल आए हैं। पुल पर कई जगह इन प्लास्टरों को उखड़े देखा जा सकता है। इनके कारण कुछ जगहों पर तो बड़े बड़े गड्ढे होते जा रहे है जो कभी भी किसी दुर्घटना को अंजाम दे सकते है।

रायपुर-राजिम से गरियाबंद, देवभोग को जोड़ने वाली नेशनल हाइवे 130 सी पर निर्मित महानदी पुल जिसकी लंबाई 536.90 मीटर है। इसका निर्माण कार्य 24 अक्टूबर 2008 को शुरू किया गया था जो 15 जनवरी 2012 को पूर्ण हुई थी। इस पुल की लागत 2005.66 लाख रुपये थी। इस पुल का निर्माण मेसर्स बंका कंस्ट्रक्शन, मुंबई द्वारा किया गया था। महज 13 वर्षों में ही यह पुल अब क्षतिग्रस्त होने लगा है। एक वर्ष पूर्व भी इसी प्रकार के गड्ढे हो जाने पर रिपेयरिंग कर खानापूर्ति की गई थी। महज एक वर्ष में ही पुनः बड़े बड़े गड्ढे हो गए है और छड़ भी दिखने लगी हैं। पुल के क्षतिग्रस्त होने की जानकारी अधिकारियों को भी है, लेकिन शायद वे किसी बड़ी दुर्घटना का इंतजार कर रहे हैं।

उक्त पुल रायपुर और गरियाबंद जिले को जोड़ने वाला मुख्य मार्ग है जो नवापारा और राजिम नगर के बीचों बीच स्थित है। वर्तमान में उक्त पुल से सैकड़ों की संख्या में दो पहिया वाहन से लेकर कई टन वजनी कंटेनर व रेत से भरे डंपर दिनभर में अनेकों की संख्या में निकलते है। भारी वाहनों के पुल से निकलने पर पुल की कंपन भी बढ़ती जा रही है।

सिर्फ मेले के समय लेते हैं सुध

पुल के ऊपरी हिस्से में तो साल में एक बार मेले के समय रंग रोगन कर चमका दिया जाता है। लेकिन पुल के अंदरूनी हिस्से की मरम्मत नहीं कराई जा रही है। मरम्मत न होने के कारण पुल की स्थिति दयनीय हो रही है।

ओवरलोड रेत गाड़ियों से बनी ये स्थिति

कई टन वजनी वाहन पुल पर से निकलते हैं। प्रतिदिन 100 से अधिक की संख्या में यात्री वाहन चलते है। माल वाहक गाड़ियां भी बड़ी संख्या में चलती है। सबसे अधिक नुकसान अवैध रूप से रेत का परिवहन करने वाली हाइवा से हो रहा है। जो कि निर्धारित क्षमता से तीन गुना रेत भरकर परिवहन करते हैं जिससे आए दिन पुल क्षतिग्रस्त होते जा रहा है।

अधिकारियों की उदासीनता बनी वजह

दो जिलों की सीमा में निर्मित ये पुल अधिकारियों की उदासीनता की भेंट चढ़ गया है। पुल के दोनों किनारे रेत की मोटी परत बिछ गई है जिससे कई दो पहिया वाहन दुर्घटना का शिकार हो गए हैं। खंभों की लाइट भी कई बार बंद रहती है। जिसे सुधरवाने के लिए अधिकारियों को फुर्सत ही नहीं मिलती है।

क्या कहते हैं अधिकारी

हमारे प्रतिनिधि ने इस संबंध में जब जब लोक निर्माण विभाग के कार्यपालन अभियंता श्री माहेश्वरी से फोन पर संपर्क करने की कोशिश की तब उन्होंने फोन नहीं उठाया। मैसेज और व्हाट्सएप पर भी संदेश देने के बाद कोई रिप्लाई नहीं किया।

मगरलोड क्षेत्रवासी है परेशान 

बता दे कि इन्ही रेत गाड़ियों के कारण मेघा पुल 21 सितंबर से क्षतिग्रस्त है। मेघा महानदी पुल से आवागमन पूर्णतया बंद कर दिया गया है। इससे क्षेत्र के लोगों की परेशानी बढ़ गई है। मेघा महानदी पुल टूटने से आवागमन बंद हो गया है। मेघा पुल क्षतिग्रस्त होने से 100 से अधिक गांवों की आवाजाही प्रभावित हो रही है। मगरलोड क्षेत्रवासियों को कुरुद सहित धमतरी, रायपुर, दुर्ग, भिलाई अन्य जगहों पर यात्रा करना महंगा पड़ रहा है। मगरलोड से कुरुद जाने के लिए बड़ी करेली, खट्टी, नारी मार्ग से जाने पर चार गुना समय व रुपय खर्च हो रहा है। इसके अलावा नारी बस्ती के अंदर सड़क मार्ग जर्जर हो चुके हैं। एक किलोमीटर लंबा बिना सुरक्षा घेरे से बना एनीकेट, एनीकेट में जाने बोल्डर, पत्थर युक्त ऊबड़ खाबड़ कच्चे मार्ग से शाम के समय यात्रा करना जान पर खेलने के समान है।

छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज से जुड़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें

https://chat.whatsapp.com/ByoSNL9jFiJAghfKGiFAzm

यह खबर भी जरुर पढ़े

जर्जर महानदी पुल के निरीक्षण करने पहुंचे अधिकारी, पुल धंसने की ये वजह आई सामने

Related Articles

Back to top button
Parineeti Raghav Wedding : परिणीति राघव हुए एक-दूजे के , सामने आई ये शानदार फ़ोटोज janhvi kapoor :जान्हवी कपूर की ये लुक , नजरे नहीं हटेंगी आपकी Tamanna bhatia : तमन्ना भाटिया ने फिल्म इंडस्ट्री में पूरे किए 18 साल भूतेश्वरनाथ महादेव : लाइट और लेजर शो की झलकिया Naga Panchami : वर्षों बाद ऐसा संयोग शिव और नाग का दिन