1972 से अस्तित्व में आए गोबरा नवापारा पालिका में पार्टी और जाति देख कर नहीं, उम्मीदवारों पर जताया नगर की जनता ने भरोसा

8 चुनावों में 5 बार कांग्रेस, 2 बार भाजपा, 1 बार निर्दलीय के हाथ रही पालिका की सत्ता

(छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज) :- गोबरा नवापारा 1 सितंबर 1972 को नगर पंचायत से नगर पालिका के अस्तित्व में आने के बाद से अब तक 8 चुनाव संपन्न हुए है। इन 8 चुनावों में 5 बार कांग्रेस के हाथ पालिका की सत्ता रही है वहीं दो बार भाजपा, एक बार निर्दलीय और दो बार प्रशासक ने पालिका की बाग डोर सम्हाली। इस तरह भाजपा को अब तक नवापारा पालिका में कोई खास सफलता नहीं मिली जबकि प्रदेश में कई बार भाजपा की सरकार रही।

इसी नगर की जनता ने कई बार भाजपा के विधायक और सांसदों के प्रति विश्वाश जताते हुए विजय दिलाई है। परंतु पिछले 20 वर्षों में पालिका के 4 चुनावों में भाजपा जीत के लिए संघर्ष करती नजर आ रही है बावजूद इसके निराशा ही हाथ लगी। ऐसा भी नहीं है कि नगर की जनता किसी पार्टी या जातिगत समीकरणों में उलझी हुई रही। जनता ने निर्दलीय उम्मीदवार पर भी भरोसा जताया। राजनीतिक दलों के लिए यह आत्म मंथन और चिंता का विषय है कि इस बार किस तरह के प्रत्याशी का चयन किया जाए।

अब तक ये रहे अध्यक्ष

1972 से 1977 तक गुलाब चंद बोथरा ( कांग्रेस ), 1977 से 1985 तक प्रशासक, 1990 से 1993 तक रिखी दास वैष्णव (भाजपा), 1993 से 1994 तक प्रशासक, 1995 से 1997 तक होरीलाल साहू ( कांग्रेस ), 1998 से 2000 तक गफ़ूर भाई (कांग्रेस ), 2000 से 2005 तक अनीता दुबे ( भाजपा ), 2005 से 2009 विजय गोयल (कांग्रेस), 2009 से 2014 देहुति साहू (कांग्रेस ), 2014 से 2018 विजय गोयल (निर्दलीय), 2019 से 2025 धनराज मध्यानी (कांग्रेस) ने बागडोर संभाली।

इस तरह पिछले पाँच चुनावों के परिणामों पर नजर डाले तो प्रथम चुनाव में भाजपा को जीत मिली थी उसके बाद हुए दो चुनाव में मतदाताओं ने कांग्रेस प्रत्याशी को जिताया। उसके बाद कांग्रेस भाजपा दोनों पार्टी के प्रत्याशियों को नजर अंदाज कर निर्दलीय प्रत्याशी को जीताकर अध्यक्ष की कुर्सी पर बिठाया। गत चुनाव प्रत्यक्ष चुनाव ना होकर पार्षदों द्वारा अध्यक्ष का चयन किया गया। जिसमें कांग्रेस पार्टी के पार्षदों का बहुमत होने से कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष चुना गया। हांलाकि दोनों पार्टी के पार्षदों की संख्या में अंतर ज्यादा नहीं था।

इस बार अध्यक्ष का पद पिछड़ा वर्ग की महिला हेतु आरक्षित है। पूर्व में हुए सभी चुनावों में जीते हुए प्रत्याशीयों को देखकर सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि जनता पढे लिखे और साफ सुथरी छबि के प्रत्याशी को वोट देकर जिताती रही है। चुनावों को लेकर नाम निर्देशन पत्र प्राप्त करना और जमा होना शुरू हो चुका है। राजनीतिक दल भी प्रत्याशीयों के नामों के मंथन में लग चुके है। अब इस चुनाव में देखना होगा की पार्टी मतदाता के सोच के अनुसार प्रत्याशी तय कर पाते है या नही।

क्या कहते है मतदाता

इस बार भी जनता के मन में क्या चल रहा है इसकी पड़ताल प्रयाग न्यूज की टीम द्वारा करने पर युवा वर्ग ने युवा प्रत्याशी की मांग करते हुए कहा कि प्रत्याशी साफ सुथरी छबि की होनी चाहिए। अपनी जेब भरने की जगह नगर के विकास के लिए समर्पित होना चाहिए। प्रत्याशी पढ़ी लिखी समझदार महिला जो स्वयं से निर्णय लेने में सक्षम हो और नगर के विकास के लिए अतिरिक्त फंड लाने की योग्यता रखती हो। वहीं नगर के बुद्धिजीवी वर्ग के नागरिकों ने कहा कि उम्मीदवार आम नागरिकों के लिए सरलता से उपलब्ध हो, जो जनता के सुख दुख में भी सहभागी रहे।

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