मार्च माह में ही जीवनदायिनी महानदी सूखे की चपेट में, रेत खदान भी पानी के प्रवाह को कर रहे बाधित, लोग गंदे पानी में निस्तारी करने हो रहे मजबूर

(छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज) :– नवापारा राजिम क्षेत्र में महानदी की दुर्दशा किसी से छुपी नहीं है। नदी क्षेत्र में बसे होने के बाद भी गंभीर जल संकट का सामना क्षेत्र वासियों को करना पड़ता है। अभी मार्च महिना ही चल रहा है और नदी पूरी तरह से सूखी नजर आ रही है। नदी पूरी तरह मैदान में तब्दील हो चुकी है। जबकि अभी गर्मी की केवल शुरुवात है। समय बढ़ने के साथ गर्मी भी अपना रौद्र रूप दिखाएगी ।
जल संकट आज एक गंभीर समस्या बन गया है, जिसका कारण जलवायु परिवर्तन, अधिक जनसंख्या और पानी का अपव्यय है। कई क्षेत्रों में पानी की उपलब्धता कम हो रही है, जिससे कृषि, परिवहन और पीने के पानी की आपूर्ति लगातार प्रभावित होती जा रही है। इस स्थिति से निपटने के लिए जल संरक्षण, सही प्रबंधन और पुनर्चक्रण जैसे उपायों की आवश्यकता है। इसके साथ ही व्यापक जन जागरूकता बढ़ाना भी अत्यंत आवश्यक है ताकि लोग जल के महत्व को समझें और उसके संरक्षण में योगदान दें।
रेत खदानों से हो रहा नदियों को भारी नुकसान
रेत खदान संचालक भी अपने निजी लाभ के लिए नदियों के पानी को रोकते है, जिसके चलते जल स्तर में भारी गिरावट और पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान हो रहा है। यह न केवल नदी के जल स्तर को घटाता है, बल्कि नदी के किनारे की मिट्टी और जीवों को भी नुकसान पहुंचाता है। रेत खनन से जल प्रवाह में रुकावट आती है, जिससे बाढ़ और सूखे की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। इसके अलावा यह स्थानीय पर्यावरण भी प्रभावित होता है। इसके परिणामस्वरूप स्थानीय लोगों को जल संकट एवं कृषि में समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

शहर की जीवनदायिनी महानदी नदी पर ऊपर छोर से नीचे तक कई रेत खदाने संचालित है आसपास की बात करें तो दुलना, तर्री, लखना, कोलियारी, चंपारण, टीला, सेमरा सहित अन्य रेत घाटों से प्रतिदिन सैकड़ों हाइवा रेत निकाला जा रहा है। रेत निकालने के लिए गाड़ियों को नदी में घुसाया जा रहा है और नदियों की धार को बाधित करते हुए रेत निकालने का काला धंधा जोरों पर चल रहा है। कुछ जगहों पर तो पनडुब्बी मशीन लगाकर रेत का अवैध खनन किया जा रहा है। जिससे बड़े बड़े गड्ढे निर्मित हो गए है ये पानी के प्रवाह को तो बाधित कर ही रहे है साथ ही साथ भूजल के स्तर को भी बुरी तरह से प्रभावित कर रहे है।
गंदे पानी में निस्तारी करने मजबूर
क्षेत्र वासियों की प्यास बुझाने महानदी से पूरे क्षेत्र में पानी की सप्लाई होती है। शहर से 17 किमी दूर अभनपुर और नवापारा सहित क्षेत्र में पानी की सप्लाई के लिए ग्राम दुलना में एनिकट के पास इंटकवेल बनाया गया है। जहां से पाइप लाइन के जरिए पानी फिल्टर प्लांट तक पहुंचाया जाता है और यहां से पूरे शहर में सप्लाई होती है। दुलना में जिस स्थान पर रेत खनन हो रहा है वह इंटकवेल से मात्र 300 मीटर नीचे की ओर है। इसलिए एनिकट में भी पर्याप्त पानी नहीं भर पाता है।
इसके बाद तो पानी का प्रवाह नीचे नवापारा राजिम क्षेत्र की ओर बढ़ ही नहीं पा रहा है। जिससे नवापारा राजिम क्षेत्र के लोगों को निस्तारी के लिए भी जल संकट का सामना करना पड़ रहा है। पानी का प्रवाह नहीं होने से लोग रुके हुए गंदे और बदबूदार पानी में निस्तारी करने के लिए मजबूर हो रहे है। साथ ही क्षेत्र का भूजल स्तर भी लगातार नीचे जा रहा है। इंटकवेल में कार्यरत कर्मचारियों के अनुसार अगर नदी में पानी का प्रवाह यही रहा तो जल्द ही पीने के पानी की समस्या बढ़ सकती है।
पर्यावरण पर प्रभाव
जानकारों के अनुसार रेत खनन से नदी के तल में बदलाव होता है, जिससे जल स्तर और प्रवाह कम हो जाता है। नदी के तल में परिवर्तन से बाढ़ के दौरान अतिरिक्त पानी को अवशोषित करने की जलक्षेत्र की क्षमता कम हो जाती है। रेत खनन से पानी की उपलब्धता पर भी गंभीर प्रभाव पड़ता है। अवैध रेत खनन से सरकारी खजाने को भी नुकसान होता है। रेत खनन से नदी के पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान होता है, जिससे मछलियों और अन्य जलीय जीवों की आबादी प्रभावित होती है। रेत खनन से भूजल के पुनर्भरण ( रीसाइक्लिंग) पर भी काफी असर पड़ता है।
क्रमश: ………………
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