मोबाइल की लत ने छीन ली बच्चे की जिंदगी, उठाया आत्मघाती कदम, इस हालत में मिली लाश

(छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज) :- बच्चे के मोबाइल चलाने की आदत एक परिवार को भारी पड़ गई। मोबाइल फोन ने परिवार से उसके बेटे की जिंदगी छिन ली। नाबालिक छात्र ने घर पर फाँसी लगाकर आत्महत्या कर ली। घटना की सूचना पुलिस को मिलने पर मौके पर पहुंचकर शव को फंदे से नीचे उतारा। मामला बिलासपुर जिले के पचपेड़ी थाना का है।

मिली जानकारी के अनुसार ग्राम जोंधरा में 5वीं कक्षा के 11 वर्षीय छात्र कबीर केवट ने घर पर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। घटना के वक्त उसके माता-पिता खेत में धान की फसल काटने गए थे। छात्र के पिता संतोष केवट पेशे से किसान है। उनके तीन बेटे हैं। जिसमें 11 साल का कबीर केवट सबसे छोटा बेटा था। वो कक्षा पांचवीं का छात्र था। चंद्रप्रकाश केंवट बड़ा और उसका एक मंझला भाई है।

घर पर अकेला था मृतक

बताया जा रहा है कि संतोष और उसकी पत्नी तीनों बच्चों को स्कूल जाने कह कर काम करने खेत चले गए। माता-पिता के खेत जाने के बाद बड़ा बेटा चंद्र प्रकाश और उसका मंझला भाई स्कूल चले गए। वहीं, कबीर स्कूल नहीं गया और घर पर वह अकेला रुक गया। जब दोपहर 1.30 बजे चंद्र प्रकाश स्कूल से लौटा, तो दरवाजा अंदर से बंद मिला। उसने दरवाजा खोलने के लिए आवाज लगाई लेकिन, अंदर से कोई आवाज नहीं आई। इस पर उसने खिड़की से झांककर देखा तो कबीर का शव फंदे पर लटक रहा था।

मोबाइल को लेकर हुआ विवाद

चंद्र प्रकाश ने अपने छोटे भाई कबीर को फंदे पर लटकता देखा तो वह घबरा गया। घटना की जानकारी उसने अपने पड़ोसियों को दी पड़ोसियों ने संतोष को सूचना दी। जिसके बाद वो भी दौड़ते-भागते घर पहुंच गए। घटना की सूचना मिलते ही पुलिस भी मौके पर पहुंची। पुलिस दरवाजा तोड़कर कमरे में पहुंची और शव को फंदे से नीचे उतारा। पूछताछ में पता चला कि, तीनों भाइयों के पास एक ही मोबाइल था। इसे चलाने को लेकर आए दिन झगड़ा होता था। घटना से पहले भी मोबाइल को लेकर झगड़ा हुआ था। फिलहाल, पुलिस मर्ग कायम कर मामले की जांच कर रही है।

बच्चों को बीमार कर रहा मोबाइल

डॉक्टरों का मानना है कि बच्चों का ज्यादा मोबाइल इस्तेमाल करना उन्हें बीमार कर रहा है, क्योंकि मोबाइल के कारण इन बच्चों का मानसिक विकास पूरी तरह से नहीं हो पा रहा है। इससे कई बच्चे ऑटिस्टिक और एडीएचडी बीमारियों से ग्रस्त हो रहे है। जिसके बाद बच्चे अचानक बोलना बंद कर देते हैं और दूसरों की बातों पर ध्यान नहीं देते, केवल खुद में ही खोए खोए रहते हैं। वहीं, मोबाइल के ज्यादा यूज से बच्चों के देखने और सुनने की क्षमता भी प्रभावित हो रही है।

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