हत्या, गैंगरेप, धोखाधड़ी जैसे इन अपराधियों की अब खैर नहीं, एक जुलाई से लागू होगी नई कानून व्यवस्था, सजा और जुर्माना दोनों बढ़ेगा
भारतीय न्याय संहिता-23 पर रायपुर जिला प्रशासन ने आयोजित की कार्यशाला

(छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज) :- एक जुलाई से देशभर में लागू होने वाले तीन नये आपराधिक कानूनों के संबंध में जानकारी देने आज जिला पंचायत के सभाकक्ष में एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित किया गया। इस दौरान बताया कि देश में 1 जुलाई से तीन नए आपराधिक कानून लागू हो जाएंगे। केंद्र सरकार की तरफ से इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी गई है। तीन नए कानूनों को संसद के शीत कालीन सत्र में पारित किया गया था।
कार्यशाला में कलेक्टर दीपक अग्रवाल, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अमित कांबले, अपर कलेक्टर अरविन्द पाण्डेय, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक जितेन्द्र चन्द्राकर, उप पुलिस अधीक्षक सुश्री निशा सिन्हा सहित जिला एवं पुलिस प्रशासन के अधिकारीगण, मीडियाकर्मी उपस्थित थे।
पुरानी धराएं बदल गई
नई भारतीय न्याय संहिता-23 में पूर्व प्रचलित धाराओं व सजा प्रावधानों में कई बदलाव हुए हैं। उन्होंने उदाहरण से स्पष्ट किया कि हत्या के अपराध पर दर्ज होने वाली धारा-302 अब नए कानून के अनुसार धारा-103 के रूप में दर्ज होंगे। गैंगरेप पर धारा-376(डी) की जगह अब नई संहिता के तहत धारा-70(1) के तहत अपराध दर्ज होगा। इसी तरह बलात्कार, जो कि भा.द.वि. के तहत धारा-376(3) के तहत दर्ज होता था, वह अब भारतीय न्याय संहिता में धारा-65(1) के तहत अपराध माना जाएगा। चोरी धारा-378 की जगह अब धारा-303(1) के अंतर्गत अपराध माना जाएगा। डकैती पर अब धारा-310(1), लूट पर अब धारा-309 के तहत अपराध दर्ज होगा। धोखाधड़ी पर धारा-420 की जगह अब धारा-318 के तहत जुर्म दर्ज होगा।
20 नए अपराध को परिभाषित किया
कार्यशाला में बताया कि भारतीय न्याय संहिता में कुल 358 धाराएं हैं और उसमें 20 नए अपराध को परिभाषित किया गया है। जिनमें स्नेचिंग से लेकर मॉब लिंचिंग शामिल किया गया है। साथ ही 33 अपराधों में सजा को बढ़ाया गया है। साथ ही 83 ऐसी धाराएं या अपराध हैं जिनमें जुर्माने की राशि भी बढ़ा दी गई है। ऐसे 23 अपराध हैं जिनमें न्यूनतम सजा का जिक्र नहीं था जिसें न्यूनतम सजा को शुरू किया गया है। 19 धाराएं ऐसी हैं जिन्हें हटा दिया गया है। साथ ही सजा के तौर पर सामाजिक व समुदायिक सेवा को भी रखा गया है। पहले यह नहीं था। राजद्रोह जैसे अपराध को अब नए कानून में हटा दिया गया।
कार्यशाला में बताया गया कि राजद्रोह को खत्म किया गया है। सरकार के खिलाफ नफरत, अवमानना, असंतोष पर दंडात्मक प्रावधान नहीं होंगे, लेकिन राष्ट्र के खिलाफ कोई भी गतिविधि दंडनीय होगी। सामुदायिक सेवा को सजा के नए स्वरूप के तौर पर पेश किया गया है। आतंकवाद- भारतीय न्याय संहिता में पहली बार आतंकवाद को परिभाषित किया गया है और इसे दंडनीय अपराध बनाया गया है। संगठित अपराध के लिए नई धारा जोड़ी गई है। भारत की संप्रभुता या एकता और अखंडता को खतरा पहुंचाने वाली गतिविधि के लिए नए प्रावधान जोड़े गए हैं।
33 अपराधों में सजा को बढ़ाया गया
शादी, रोजगार, प्रमोशन, झूठी पहचान आदि के झूठे वादे के आधार पर यौन संबंध बनाना नया अपराध है। गैंगरेप के लिए 20 साल की कैद या आजीवन जेल की सजा होगी। अगर पीड़िता नाबालिग है तो आजीवन जेल/मृत्युदंड का प्रावधान किया गया है।
नस्ल, जाति, समुदाय आदि के आधार पर हत्या से संबंधित अपराध के लिए नए प्रावधान के तहत लिंचिंग के लिए न्यूनतम सात साल की कैद या आजीवन जेल या मृत्युदंड की सजा होगी। स्नैचिंग के मामले में गंभीर चोट लगती है या स्थायी विकलांगता होती है तो ज्यादा कठोर सजा दी जाएगी। बच्चों को अपराध में शामिल करने पर कम से कम 7-10 साल की सजा होगी। हिट-एंड-रन के मामले में मौत होने पर अपराधी घटना का खुलासा करने के लिए पुलिस/मजिस्ट्रेट के सामने पेश नहीं होता है, तो जुर्माने के अलावा 10 साल तक की जेल की सजा हो सकती है।
गंभीर प्रकरणों में डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों को नए कानून में मान्यता मिली है। भगोड़े अपराधियों पर कानून और भी सख्त बनाया गया है। इन न्यायसंगत सुधारों से जहां छोटे अपराधों में लिप्त आरोपियों को सुधरने का अवसर दिया गया है, वहीं जघन्य अपराधों पर कड़ी सजा होगी। भारतीय न्याय संहिता में पहली बार कम्युनिटी सर्विस जैसी सजा का प्रावधान कर अपराधियों को सुधरने का अवसर भी दिए जाने का प्रावधान है। न्याय संहिता में ई-एफ.आई.आर. का प्रावधान है, जिसमें तीन दिवस की निर्धारित अवधि के भीतर प्रार्थी को संबंधित थाने पर पहुंचकर अपनी पहचान, हस्ताक्षर सत्यापित कराना होगा।
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