धैर्य और निरंतर कर्म ही किसी भी संकट का समाधान : आयुर्वेद अधिकारी संघ धमतरी द्वारा एक विचार-परिचर्चा का हुआ आयोजन

(छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज) :– आयुर्वेद अधिकारी संघ, जिला शाखा धमतरी द्वारा एक विचार-परिचर्चा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर प्रांताध्यक्ष डॉ. गदाधर पंडा, उपाध्यक्ष डॉ. प्रशांत कश्यप, डॉ. कोमल डोटे, महामंत्री डॉ. प्रशांत रावत, डॉ. अतुल सिंह परिहार, डॉ. रमेश खूंटे, कार्यकारिणी सदस्य डॉ. ऐश्वर्या साहू सहित जिले भर के आयुर्वेद चिकित्सक उपस्थित रहे। परिचर्चा में सभी चिकित्सकों ने अपनी समस्याएं एवं सुझाव साझा किए।

कार्यक्रम में डॉ. रविंद्र वर्मा ने संविदा चिकित्सकों की समस्याओं को विस्तार से रखा। डॉ. ऐश्वर्या साहू ने युवा एवं वरिष्ठ चिकित्सकों के बीच “सेतु” बनकर कार्य करने की आवश्यकता पर बल दिया। डॉ. अतुल परिहार ने चिकित्सकों की छोटी-छोटी समस्याओं के व्यावहारिक समाधान प्रस्तुत किए। डॉ. रमेश खूंटे ने छात्र जीवन की मधुर स्मृतियों को साझा किया। डॉ. प्रशांत रावत ने संगठन की भूमिका और उसके महत्व पर प्रकाश डाला। डॉ. प्रशांत कश्यप ने संघ की गतिविधियों और उपलब्धियों का विस्तृत विवरण दिया। डॉ. कोमल डोटे ने संगठनात्मक एकता और समन्वय की आवश्यकता पर बल दिया।

डॉ. निशांत कौशिक ने “आयुर्वेद संदेश” पत्रिका के प्रकाशन के उद्देश्य, स्वरूप, और योगदान पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यह पत्रिका न केवल संगठन की गतिविधियों को दस्तावेज़ करती है, बल्कि चिकित्सकों के शोध, अनुभव और विचारों को साझा करने का एक सशक्त मंच भी है। उन्होंने सभी सदस्यों से आग्रह किया कि वे इसमें लेख, विचार और अनुभव साझा करें, जिससे यह पत्रिका आयुर्वेद जगत में एक सशक्त पहचान बना सके।

केवल समस्याओं पर चर्चा करना पर्याप्त नहीं

प्रांताध्यक्ष डॉ. गदाधर पंडा ने अपने सारगर्भित वक्तव्य में कहा कि आयुर्वेद केवल चिकित्सा पद्धति नहीं, बल्कि सेवा और जीवनशैली का पर्याय है। उन्होंने संगठन की सामूहिक शक्ति पर बल देते हुए कहा कि जब तक हम संगठित नहीं होंगे, तब तक न तो चिकित्सकों की समस्याओं का समाधान संभव है और न ही विभागीय विकास का मार्ग प्रशस्त हो सकता है। उन्होंने संविदा चिकित्सकों की सेवा शर्तों, पदोन्नति, संसाधनों की कमी और प्रशासनिक चुनौतियों को रेखांकित करते हुए कहा कि ये सभी मुद्दे संगठन की प्राथमिकता में हैं। उन्होंने आश्वस्त किया कि संघ शासन से सतत संवाद कर रहा है और शीघ्र ही सकारात्मक परिणाम सामने लाए जाएंगे।

डॉ. पंडा ने यह भी कहा कि केवल समस्याओं पर चर्चा करना पर्याप्त नहीं है, अब आवश्यकता है नीतिगत समाधान और सक्रिय भागीदारी की। उन्होंने युवा चिकित्सकों से आह्वान किया कि वे संगठन की रीढ़ बनें और वरिष्ठ चिकित्सकों से अपेक्षा की कि वे मार्गदर्शन करते रहें। उन्होंने जानकारी दी कि संघ द्वारा आगामी समय में राज्य स्तरीय अभियान, प्रशिक्षण, और नीति संवाद मंच आयोजित किए जाएंगे, ताकि चिकित्सकों की आवाज शासन तक पहुंचे और विभागीय प्रतिष्ठा भी सुदृढ़ हो।

धैर्य और निरंतर कर्म ही समाधान 

मंच संचालन करते हुए डॉ. अवध पचौरी ने कार्यक्रम को आत्मीयता और हास्य के साथ जोड़े रखा। उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए चिकित्सा क्षेत्र की खट्टी-मीठी यादों को प्रस्तुत किया, जिससे सभा में अपनापन और उत्साह का वातावरण बना रहा। डॉ. सेवन्त साहू ने कार्यक्रम में पधारे सभी अतिथियों का परिचय कराया और उनका आत्मीय स्वागत किया।

कार्यक्रम के समापन पर डॉ. प्रवीण चंद्राकर ने आभार प्रदर्शन करते हुए रामायण का एक प्रेरणादायक प्रसंग साझा किया। उन्होंने बताया कि जब लक्ष्मण जी को शक्ति बाण लगा, तब उर्मिला जी के धैर्य और हनुमान जी के कर्मठ प्रयासों ने समाधान लाया। इस प्रसंग के माध्यम से उन्होंने सभी को यह संदेश दिया कि धैर्य और निरंतर कर्म ही किसी भी संकट का समाधान है।

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