गंगा दशहरा के अवसर पर त्रिवेणी संगम मे हुआ संध्या आरती का आयोजन ,नागरिकों ने कहा
(छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज) नवापारा राजिम :- मां गंगा को पृथ्वी पर लाने के लिए ऋषि भागीरथी ने घोर तपस्या की जेष्ठ शुक्ल दशमी को हस्त नक्षत्र में गंगा नदी स्वर्ग से पृथ्वी पर उतरी थी इसी दिन को गंगा दशहरा के नाम से जाना जाता है देशभर के नदी घाटों पर इस दिन शंखनाद,आरती कर माता गंगा का अवतरण दिवस मनाया जाता है।
नगर मे भी गंगा दशहरा का पर्व लोगों ने बड़े भक्ति भाव और धूमधाम से मनाया।संध्या समय नेहरू घाट पर लोग एकत्र हुए, पटेवा के पण्डित हरीश ने उपस्थित लोगों से गंगा पूजन कराया, त्रिवेणी संध्या आरती के रचनाकार एवम संयोजक पण्डित ब्रह्मदत्त शास्त्री ने महानदी तट पर महानदी मैया की आरती उतारी जिसमे नगर के अशोक गंगवाल, राजकुमार कंसारी, जनक कंसारी, राजू साव एवं नागरिकगण शामिल हुए। पंकज पुजारी के शंख नाद के साथ आरती सम्पन्न हुई ।
इस अवसर पर अशोक गंगवाल ने कहा कि महानदी को जिस हाल में हम देख रहे हैं उसे देखकर मन दुखी हो जाता है मनुष्य के लालच और लापरवाही ने उसकी दुर्दशा की है, उसको पुनर्जीवित करने के लिए भागीरथी प्रयास करने होंगे, जनक कंसारी ने कहा कि मैं नगर के पार्षदों और ठेकेदारों से अनुरोध करता हूं कि वे नदी की गाद और गंदगी निकालने के लिए जेसीबी मशीन लगाकर इसकी बरसात से पहले साफ सफाई करा दें, यह बड़े पुण्य का काम होगा । सत्यनारायण मंदिर समिति के अध्यक्ष राजकुमार कंसारी ने कहा कि हम शासन प्रशासन से अनुरोध करते हैं कि रायपुर के खारुन और शिवनाथ रिवर फ्रंट की तरह से महानदी रिवर फ्रंट तत्काल गठन किया जाए, हो सके तो पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल बनाया जाय, नहीं तो आने वाले दिनों में महानदी हमे देखने को भी नहीं मिलेगी, हरीश महाराज ने कहा कि हमारे शास्त्रों ने नदियों को देवी और मां मानकर पूजा है पर हमने उसको किस हाल में ला दिया है, पण्डित ब्रह्मदत्त शास्त्री ने कहा कि केंद्र सरकार के “नमामि गंगे” प्रोजेक्ट की तरह ही प्रदेश सरकार को महानदी के उद्धार के लिए युद्धस्तर पर प्रयास करना चाहिए,नवापारा और राजिम के जनप्रतिनिधियों को विशेष रुचि लेकर अपनी संवेदन शीलता का परिचय देना चाहिए तभी कुछ हो सकता है, नही तो महानदी का जीवन परिचय हम इतिहास की किताबों में पढ़ते रह जायेंगे।