प्रधानमंत्री करेंगे नए संसद भवन में ऐतिहासिक व पवित्र “सेन्गोल” की स्थापना,क्या है भारत की आजादी से इसका संबंध
यह पवित्र "सेन्गोल" ही अंग्रेजों से भारत को सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक है
(छत्तीसगढ़ प्रयाग न्यूज ):- अंग्रेजों से भारत को सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक सेन्गोल नए संसद भवन में स्थापित होगा । आजादी के 75 साल बाद भी अधिकांश भारत को इस घटना के बारे में जानकारी नहीं है ।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अमृत काल के राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में सेन्गोल को अपनाने का निर्णय लिया है। संसद का नया भवन उसी घटना का साक्षी बनेगा, जिसमें आधीनम (पुरोहित) उस समारोह की पुनरावृत्ति करेंगे और प्रधानमंत्री मोदी को सेन्गोल प्रदान करेंगे।
जब नए संसद भवन को राष्ट्र को समर्पित किया जाएगा इस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी न्याय पूर्ण और निष्पक्ष शासन के प्रतीक सैंगोल को ग्रहण कर उसे नए संसद भवन में स्थापित करेंगे यह वही सेन्गोल है जिसे भारत के प्रथम प्रधानमंत्री स्वर्गीय जवाहरलाल नेहरू ने 14 अगस्त 1947 की रात कई नेताओं की उपस्थिति में स्वीकार किया था।
भारत की आजादी के उपलक्ष में हुए कार्यक्रम को याद करते हुए केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि 14 अगस्त 1947 की रात को एक विशेष अवसर था जब जवाहरलाल नेहरू ने तमिलनाडु के थिरुवदुथुराई आधीनम (मठ) से विशेष रुप से पधारे पुरोहितों से सेन्गोल ग्रहण किया था पंडित नेहरू के साथ सैंगोल का होना ठीक वही क्षण था जब अंग्रेजों द्वारा भारतीयों के हाथों में सत्ता का हस्तांतरण किया गया था हम जिसे स्वतंत्रता के रूप में मना रहे हैं वह वास्तव में यही क्षण है।
क्या है सेन्गोल
केन्द्रीय गृह मंत्री ने आगे सेन्गोल के बारे में विस्तार से बताया। सेन्गोल शब्द तमिल शब्द “सेम्मई” से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है “नीतिपरायणता”। इसे तमिलनाडु के एक प्रमुख धार्मिक मठ के मुख्य आधीनम (पुरोहितों) का आशीर्वाद प्राप्त है। हाथ से उत्कीर्ण नंदी इसके शीर्ष पर विराजमान हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सेन्गोल को ग्रहण करने वाले व्यक्ति को न्यायपूर्ण और निष्पक्ष रूप से शासन करने का आदेश होता है ।
यहा किया जाएगा स्थापित
1947 के उसी सेन्गोल को प्रधानमंत्री मोदी द्वारा लोकसभा में अध्यक्ष के आसन के पास स्थापित किया जाएगा। इसे राष्ट्र के देखने के लिए प्रदर्शित किया जाएगा और विशेष अवसरों पर बाहर ले जाया जाएगा।गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि इस ऐतिहासिक सेन्गोल के लिए संसद भवन ही सबसे अधिक उपयुक्त और पवित्र स्थान है।सेन्गोल की स्थापना 15 अगस्त 1947 की भावना को अविस्मरणीय बनाती है। यह असीम आशा, अनंत संभावनाओं और एक सशक्त और समृद्ध राष्ट्र के निर्माण का संकल्प है। यह अमृतकाल का प्रतिबिंब होगा, जो नए भारत को विश्व में अपने यथोचित स्थान को ग्रहण करने के गौरवशाली क्षण का साक्षी बनेगा।